तो क्या रमन सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे ? 21 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित.

राजकुमार सोनी.

रायपुर. भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने छत्तीसगढ़ की 21 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन इधर दो दिनों से राजनीतिक गलियारों में यह खबर हवा में तैर रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल पाएगा. राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि रमन सिंह इस बार पूरी मजबूती के साथ सक्रिय तो रहेंगे, लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे. कहा जा रहा है कि वे अपने पुत्र अभिषेक सिंह को विधानसभा का चुनाव लड़वाएंगे और अगर चुनाव में ठीक-ठाक स्थिति बनी तो आगे चलकर किसी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उनके चुनाव समर में शामिल न होने वाली खबर को भाजपा का एक धड़ा महज अफवाह मानता है. इधर केंद्रीय चुनाव समिति ने 21 प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है उसमें खैरागढ़ से रमन सिंह के सगे भांजे विक्रांत सिंह का नाम शामिल है. प्रेक्षक मानते हैं कि भांजे को टिकट दिए जाने का मतलब भी यहीं है कि रमन सिंह को मौका नहीं मिल पाएगा. आवारा हवाओं में तैरने वाली दूसरी खबर यह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कई स्तरों पर सर्वे करवाया है. हर सर्वे का लब्बो-लुआब यहीं है कि पूरी जोर आजमाइश के बाद भी पार्टी 21 से 29 सीट ही हासिल कर पाएगी.

रमन सिंह चुनाव लड़ेंगे या नहीं… इस बारे में पार्टी का कोई भी जिम्मेदार नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव अपना मोर्चा डॉट कॉम से चर्चा में यह स्वीकार करते हैं कि विधानसभा चुनाव में भूपेश सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए योग्य और क्षमतावान प्रत्याशियों की तलाश की जा रही है. वे कहते हैं-“ पार्टी में जिताऊं प्रत्याशियों को ढूंढा जा रहा है. जो लोग भी पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे… उन पर दांव लगाया जाएगा. चुनाव में पुराने लोगों को भी मौका मिल सकता है और अच्छी संभावना के आधार पर नए लोगों को भी मैदान में उतारा जा सकता है.” यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी 21 से 29 सीटों पर ही सिमटकर रह जाएगी… साव कहते हैं- भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में है. फिलहाल उन्हें किसी भी तरह के सर्वे की जानकारी नहीं है. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल चर्चा में कहते हैं- अभी किसी को यह नहीं मालूम है कि क्या होने वाला है.कौन सा नया चेहरा चुनाव समर में होगा… और किस पुराने चेहरे पर दांव लगाया जाएगा. हायकमान उचित समय पर सब कुछ तय कर देगा. फिलहाल मंथन चल रहा है.

यहां यह बताना लाजिमी होगा कि वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. तब भाजपा को 90 सीटों में से मात्र 15 सीटें हासिल हुई थीं. जबकि सूबे के चुनावी इतिहास में कांग्रेस ने 68 सीटें जीतकर भूचाल ला दिया था. हालांकि कांग्रेस के पास अब 71 सीट है और भाजपा 14 पर सिमटकर रह गई है. फिलहाल भाजपा राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हाथ-पांव मार रही है. इस बीच गुरुवार को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने 21 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है. चुनाव समिति ने प्रेमनगर विधानसभा क्षेत्र से भूलन सिंह मरावी, भटगांव से श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, प्रतापपुर से श्रीमती शंकुतला सिंह पोर्ते, रामानुजगंज से रामविचार नेताम, लुंड्रा से प्रबोध मिंज, खरसिया से महेश साहू, धर्मजयगढ़ से हरीशचंद्र राठिया, कोरबा से लखनलाल देवागंन, मरवाही से प्रणव कुमार मरपच्ची, सरायपाली से श्रीमती सरला कोसरिया, खल्लारी से अलका चंद्राकर, अभनपुर से इंद्रकुमार साहू, राजिम से रोहित साहू, सिहावा से श्रवण मरकाम, डौंडी लोहारा से देवलाल हलवा ठाकुर, पाटन से विजय बघेल, खैरागढ़ से विक्रांत सिंह, खुज्जी से श्रीमती गीता घासी साहू, मोहल्ला मानपुर से संजीव साहा, कांकेर से आशाराम नेताम और बस्तर से मनीराम कश्यप को टिकट दी है.

बघेल के सामने कौन ?

छत्तीसगढ़ में भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व से लगातार मिल रहे दिशा-निर्देशों के बाद तैयारियों में तो जुटी है, लेकिन पार्टी के सामने यक्ष प्रश्न यहीं है कि भूपेश बघेल की जमीनी और सांस्कृतिक छवि का मुकाबला कैसे किया जाय? बीते साढ़े चार सालों में मुख्यमंत्री बघेल अपनी एक अलग छवि गढ़ने में कामयाब रहे हैं. बघेल बहुत ज्यादा पुल-पुलियों और दैत्याकार भवनों के निर्माण पर यकीन नहीं रखते हैं. उनका मानना है कि सरकार का पैसा जनता की जेब में जाना चाहिए. उन्होंने अनेक ऐसी योजनाएं प्रारंभ की है जिसका लाभ सीधे-सीधे जनता को मिल रहा है. यह अलग बात है कि बीते दो सालों से ईडी और आईटी ने छत्तीसगढ़ को घेर रखा है. ईडी-आईटी की छापामार कार्रवाई के बाद भाजपा ने भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा तो बनाया है, लेकिन यह असरकारक साबित होता नहीं दिख रहा है. दरअसल इसकी एक वजह यह भी है कि भाजपा शासित राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों में ईडी-आईटी की छापामार कार्रवाई सवालों के घेरे में है. बहरहाल तमाम तरह की उठापटक के बीच भाजपा भूपेश बघेल से मुकाबले के लिए खुद को वार्मअप कर रही है. फिलहाल 21 सीटों पर प्रत्याशियों की ताबड़तोड़ घोषणा यह बताती है कि भाजपा पूरी तैयारियों और दम-खम के साथ चुनाव समर में उतरना चाहती है.

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