‘मुंह फट’

‘रवि शुक्ला’

परभारी की जय हो..

कांग्रेस की सत्ता और मारधाड़ वाली हिंदी फिल्म दोनों की कहानी एक जैसी होती है। शहर की कांग्रेसी फिजा में अब एक और हीरो की एंट्री हो गई है। तीन-तीन हीरो हो गए हैं पहले बाहुबली स्टाइल में भूपेश का हीरो आया खूब नाचा कूदा भूस्स हो गया। फिर जनता के हंसमुख हीरो ने टिंग टांग किया ज्यादा मजा नहीं आया।

अब भाजपा के लाल के जवाब में तीसरा हीरो कांग्रेस ने कोरबा के लाल को लाकर जवाब दिया है। इस हीरो नम्बर फ्री की एंट्री से ऑक्सीजन पर पल रहे कांग्रेसी मजबूत हो गए हैं और रातों-रात उन्होंने तीसरा गुट भी बना लिया है। कांग्रेस में तीनों गुटों में किस की जय होगी किसकी नहीं यह तो परभारी जाने, लेकिन चंदा चकारी से अफसरों की मुसीबत होगी यह सोलह आने है।

नाम कमाऊ मैडम..

डायरेक्ट डीएसपी बनने वाली मैडम कुछ कर गुजरने की चाह में है। सपने भी बड़े ऊंचे हैं नाम कमाने और सोशल मीडिया में रातों-रात छा जाने की तमन्ना दिल में है, लेकिन हीरोपंती या सिंघमगिरी हर किसी को नहीं फलती फूलती बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। वरना एक से एक आईएएस आईपीएस और बड़े-बड़े धुरंधर पुलिस अफसर आए और गए, हर कोई नाम नहीं कमा पाया वक्त और सत्ता की मार ऐसी पड़ी कि सारे धुरंधर लट्टू हो गए।

ऐसे में सिखाड़ी डीएसपी ट्रैफिक संभालने शहर में अकेले निकल पड़ती है, कभी चाय टपरी में चाय बनाने लगती तो कभी प्रभारी मंत्री की रैली में कांग्रेसी युवाओं को रोकने अकेले डट जाती है। लोग चार बात सुनाकर चल देते है। पुलिस डिपार्टमेंट की हंसी उड़ जाती है,तो आखिर हो गया न अब बस्तर, लो कमाओ नाम,पहली पोस्टिंग भी मिल गई। लाल कारपेट में मुफ्त में सीख है मैडम करीने से रहो सिस्टम से चलो क्योंकि इंसान काम नहीं करता सिस्टम काम करता है।

(बस इतना ही, दो गज दूरी मास्क है जरूरी..)

टिकिट और नगर का लल्ला..

भाजपा में पूरा प्रदेश देखने के लिए एक देवी आई है कहते हैं वह बहुत तेज तर्रार है और अच्छे- अच्छों की बोलती बंद कर रखी है। पुराने घर बैठे भाजपाइयों को बाहर निकलवा रही है,इससे कोई और तो नहीं बल्कि 15 साल से सत्ता का सुख भोगने वाले ज्यादा बेचैन है हर कार्यकाल में मंत्री संत्री बनने वालों की सांस फूल रही है।

क्या पता इस बार टिकट मिलेगी या नहीं जैसे ही टिकट की बात होती है लोग खट से पूछते हैं की बिलासपुर के नगर भईया को टिकट मिलेगी कि नहीं, अरे भई किसकी मजाल जो उनकी टिकट काट सके 20 साल से नगर के लाल हैं। एक बार की हार से कुछ थोड़ी हो जाता है। राजनीति और क्रिकेट एक बराबर है। क्रिकेट में कोई एक बार हार जाए तो टीम थोड़ी बदलता है। कांग्रेसियों की बुद्धि पर तरस आता है जो कहते हैं कि मुकाबला हो तो भाजपा के लल्ला से ही हो और पता नहीं रात में नींद में चिल्लाने लगते हैं वंस मोर वंस मोर।

पुलिस में खेला होबे..

तोरवा थाना क्षेत्र में के हेमू नगर की माटी पानी में पता नहीं क्या मिला है कि, कोई ना कोई आनी जरूर पैदा हो जाता है। भाजपा शासनकाल में विधानी की तूती बोलती थी और अब ठारवानी ने गुल खिला दिया और गुल भी ऐसा खिलाया है कि पूरा गुल गसाड़ा हो गया। ट्रैफिक सिपाही से गाली गलौज ऐसी भारी पड़ी कि एक तरफ पुलिस उसे हफ्ते भर में ढूंढ कर ले आई तो दूसरी और कांग्रेस संगठन के नेता पानी पी- पी के कोस रहे है।

हालांकि कोई तो उसका आंका है जिसकी पहुंच दूर तक है वरना साइबर एक्सपर्ट थानेदार के लिए फरार मुजरिम को ढूंढ कर निकालना 2 सेकेंड का काम था। समझने की बात है बेहतर पुलिसिंग करनी है तो सत्ता का कुछ तो कहा सुना मानना पड़ेगा। तभी तो फरार आरोपी मिले न मिले लेकिन उसकी जवाबी चिट्ठी कांग्रेस संगठन को खोजबीन से पहले जरूर मिल जाती है। सियासत में शायद इसी को खेला हो गए कहते हैं।

अंगद के पाव की तरह जमे गड़बेल..

जिले में पदस्थ एक राजस्व अधिकारी है जिन्होंने अपनी लम्बी पदस्थापना के दौरान जाने अंजाने में अपने कई विरोधी पैदा किये है, विरोध इस हद तक है कि अपने महकमे के अलावा प्रदेश सरकार के एक कद्दावर मंत्री तक विरोध में उतर गए पर साहब के भी क्या कहने, इतने विरोध को भी दरकिनार करते हुए प्रमोशन के साथ ही वापस बिलासपुर में पदस्थापना पाने में सफल हो गए है।उनकी सफलता को देख ऐसे अधिकारी और नेता जो उन्हें हटाना चाहते थे,वो पसीने से तरबतर हो गए है और साहब को आशीर्वाद देने वाले भोले भंडारी का पता खोजने में जुट गए है।

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