सिख दंगों की चिंगारी, अब कमलनाथ की बारी..

‘विजया पाठक’

1984 के सिख दंगों की चिंगारी एक बार फिर पनप रही है। देश भर के सिखों में 1984 के दंगों को लेकर आक्रोश है। यह आक्रोश कांग्रेस पार्टी पर है, कांग्रेस के नेता और एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ, जगदीश टाईटलर को लेकर है। क्योंकि सिख नेताओं का मानना है कि दंगों में इन नेताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी। खासकर कमलनाथ के प्रति तो सिखों में खासा गुस्सा है।

इनका कहना है कि कमलनाथ ने दिल्ली के रकाबगंज के क्षेत्र में सिखों को मारने के लिए उकसाया था और लगभग पांच घंटे तक दंगा स्थल पर मौजूद थे और दंगाईयों को निर्देशित करते रहे। सिख समुदाय के लोग पिछले 35 वर्षों से 1984 के सिख नरसंहार के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। यह वर्ष 1984 के सिख नरसंहार की 35वीं वर्षगांठ है। 01 नवंबर को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में सिख समुदाय के लोगों ने कहीं कैंडिल लाईटें जलाई तो कहीं शोकसभाओं का आयोजन किया गया।

इसी दिन देश भर में सिखों का नरसंहार किया गया था। खासकर दिल्ली में हजारों सिखों को मारा गया था। पिछले 35 सालों से देश के सिख नेता और समाजसेवी इस लड़ाई को लड़ रहे हैं और आग को जिंदा बनाए रखे हैं। हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान मेरी सिख गुरूद्वारा प्रबंधन समिति दिल्ली के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा से मुलाकात हुई। सिख दंगों को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई।
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ के प्रति नाराजगी को लेकर मनजिंदर सिंह सिरसा ने 02 नवंबर 2019 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है।

पत्र में मनजिंदर सिंह ने जिक्र किया है कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता (कमलनाथ) प्रमुख अभियुक्त हैं। उन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब को जलाने के लिए भीड़ को भड़काया और 01 नवंबर 1984 में निर्दोष सिखों की हत्या करवाई। अन्य कांग्रेस नेता टाइटलर 1984 के अन्य सिख नरसंहार मामलों में जमानत पर हैं जबकि कमलनाथ अपने राजनीतिक प्रभाव और कांग्रेस पार्टी के दबाव के कारण सजा से बच गए। 1984 में सिख नरसंहार में उनकी अमानवीय और क्रूर भूमिका को देखते हुए कांग्रेस पार्टी कमलनाथ और जगदीश टाइटलर को बर्खास्त करे। उन्होंने कहा कि जब तक कमलनाथ को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाता है तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
वर्तमान में 1984 के दंगों को लेकर सारे देश में भारी आक्रोश है। क्योंकि जब तक दंगों के जबावदार बाहर घूमते रहेंगे तब तक आक्रोश कम नही होगा। वहीं कांग्रेस पार्टी ऐसे नेताओं को पद देकर नबाज रही है। इसी बजह से भी सिखों में गुस्सा है। कांग्रेस को समय रहते मामले को शांत करना चाहिए और पार्टी की तरफ से कदम उठाना चाहिए।

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