साइबर क्राइम के नए पैटर्न से बचना है तो इन बातों का रखें खास ख्याल, पढ़िए साइबर एक्सपर्ट नायक की टिप्स.

बिलासपुर. देश में साइबर क्राइम का मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। साइबर ठग अलग अलग तरीकों से अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस की समझाइश के बाद भी आमजन साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस ही जाते हैं वही हाल ही में साइबर ठगों ने वाइस क्लोनिंग का नया पैटर्न शुरू कर दिया है। आमजनों को साइबर ठगी की घटनाओं से दूर रखने रेंज साइबर थाना इंचार्ज मनोज नायक ने कुछ टिप्स दिए हैं।

ऑफ कैमरा ‘OMG NEWS’ से साइबर क्राइम पर चर्चा करते हुए श्री नायक ने कहा कि डिजिटल युग में जागरूकता और सावधानी महत्वपूर्ण है।

हाल के दिनों में, साइबर अपराध की दुनिया में AI आधारित वॉयस क्लोनिंग बढ़ा है जो चिंताजनक है
अपराधी आर्टिफिशियल आवाज़ों का उपयोग कर रहे हैं। जो वास्तविक व्यक्तियों के बोलने के पैटर्न और विशेषताओं की नकल करते हुए संपर्क वालों को कॉल या वाइस रिकॉर्ड भेजकर लोगों के साथ ठगी करने के लिए उपयोग कर रहे हैं।

श्री नायक ने दिए टिप्स, ध्यान से पढ़े और सुरक्षित रहें.

1.कॉल के दौरान असमान्य विराम या रोबोटिक बोलने की शैली पर ध्यान दें, अगर बातचीत स्क्रिप्टेड लगती है या उसमें सहजता की कमी है तो सतर्क रहें।

2. भाषा और उच्चारण त्रुटियाँ,
उच्चारण या बोलने के लहजे में उन गलतियों की तलाश करें जो वास्तविक व्यक्ति आमतौर पर नहीं करता है।

3. आवाज तुलना,
यदि संभव हो, तो कॉल में मौजूद आवाज़ की तुलना किसी विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त व्यक्ति की मूल आवाज़ से करें।

4.भावनात्मक अभिव्यक्ति,
ध्यान दें कि क्या आवाज़ में भावनात्मक अभिव्यक्ति का अभाव है या असामान्य भावनात्मक बदलाव प्रदर्शित होता है जो वास्तविक व्यक्ति प्रदर्शित नहीं करता।

5. वापस कॉल करें,
कॉल की सत्यता को जांचने हमेशा उस व्यक्ति के पूर्व से आपके पास सेव नंबर का उपयोग करके वापस कॉल करने का प्रयास करें।

6.आवाज के नमूने साझा करने से बचें,
कभी भी अपने आवाज के नमूने या रिकॉर्डिंग को अज्ञात व्यक्तियों या अनजान सोर्स के साथ साझा न करें।

7. वॉयस रिकॉर्डिंग की सुरक्षा करें,
संवेदनशील वाइस रिकॉर्डिंग या ऑडियो फ़ाइलों तक पहुंच सीमित करें जिनका उपयोग संभावित रूप से दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

तत्काल इस नंबर पर संपर्क करें.

टीआई नायक ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि
यदि आपको संदेह है कि आप एआई-आधारित वाइस क्लोनिंग, साइबर अपराध या किसी वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं तो शिकायतों के लिए 1930, पर संपर्क करें।

साइबर एक्सपर्ट नायक की सलाह.

सतर्क रहें और साइबर अपराध के वर्तमान रूप का शिकार होने से खुद को और अपने प्रियजनों को बचाने के लिए इन सावधानियों का पालन करें।

इधर राजधानी में साइबर क्राइम पर ट्रेनिग.

डीजीपी जुनेजा ने कहा,साईबर अपराध से निपटने के लिये पुलिस को और अधिक
सतर्क होना होगा.

पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को हुआ शुभारंभ.

रायपुर। पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा के मुख्य आतिथ्य में सोमवार को गूगल और पेटीएम साईबर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। पुलिस मुख्यालय और वित्तीय कारोबार संचालित करने वाली गूगल एवं पेटीएम के प्रशिक्षित अधिकारियों की टीम द्वारा सभी जिलों से आये साईबर नोडल पुलिस अधिकारी (अतिरिक्त/ उप पुलिस अधीक्षक स्तर) एवं जिला साईबर सेल के प्रभारी पुलिस अधिकारियों एवं रेंज स्तर से साईबर थाने में पदस्थ पुलिस अधिकारी/कर्मचारी को साईबर ठगी की रोकथाम और त्वरित कार्यवाही किये जाने हेतु पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

पुलिस महानिदेशक श्री जुनेजा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों से आये साईबर नोडल पुलिस अधिकारी एवं जिला साईबर सेल के प्रभारी पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि साईबर अपराध ठगी और ब्लेकमेलिंग जैसी अपराधों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारियों को और अधिक सर्तक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईटी एक्ट के अलावा डॉटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 भी लागू हो गया है। इसमें साईबर ठगी के बढ़ते मामलों से निपटने और अपराधियों को पकड़ने तथा न्यायालय से दण्डित कराने के प्रावधान किये गये हैं, इन प्रावधानों से साईबर अपराधियों को दण्ड दिलाने में मदद मिलेगी।

डीजीपी जुनेजा ने सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया कि साईबर ठगी के मामलों में अपडेट जानकारी हार्ड एवं साफ्ट कॉपी दोनों उपलब्ध होनी चाहिए जिससे प्रार्थी या शिकायतकर्ता के शिकायत का समाधान यथाशीघ्र किया जा सके। उन्होंने साइबर अपराधियों द्वारा अन्य राज्यों में बैठकर किये जाने वालों अपराधों पर अंकुश एवं अपराधियों को पकड़ने के लिए अन्य राज्यों के पुलिस अधिकारियों से समन्वय बनाकर शीघ्रतापूर्वक कार्य करना चाहिए।

इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रदीप गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि अपराधी को पकड़ना साक्ष्य एकत्रित करना एवं अपराधी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर उसे दण्ड दिलाना पुलिस के लिए बहुत बढ़ी चुनौती है, इसलिए पुलिस को आधुनिकतम रूप से प्रशिक्षित होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि गूगल और पेटीएम जैसे वित्तीय कार्य संपादित करने वाली संस्थाओं के अधिकारियों द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण पुलिस अधिकारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में गूगल और पेटीएम के प्रशिक्षित अधिकारियों की टीम द्वारा LERS (ला इन्फोर्समेंट रिक्वेस्ट सिस्टम) पोर्टल, फ्राड, इमरजेंसी रिक्वेस्ट, फ्राड ट्रेंड, बिजनेस, ट्रान्जेक्शन, मानिटरिंग संबंधी विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। अपरान्ह् में पेटीएम की टीम द्वारा ऑनलाईन बैंकिंग की कार्यप्रणाली एवं पेटीएम द्वारा साईबर क्राईम को रोकने की दिशा में उठाये गये कदम के बारे में विस्तार से बताया गया।

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