राहुल के तेवर ने दिए कांग्रेस में बदलाव के संकेत…

इंदिरा स्टेडियम नई दिल्ली से शिवा कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट..

कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के मोदी सरकार को ललकारने से पहले अधिवेशन के दूसरे दिन की शुरूआत पारंपरिक तरीके से तिरंगा झंडा फहराकर कर हुई। आज मैदान ही नहीं, माहौल भी बदला हुआ था. कल बंद कमरे में हुए अधिवेशन से उपजे असंतोष को राहुल गांधी ने अपने संबोधन में प्रदेशों से आए हुए कार्यकर्त्ताओं को साधने में भी सफल रहे। कांग्रेस में बदलाव की यह झलक यहां साफ दिखाई दे रही थी। राहुल ने मठाधीश बने सभी बड़े नेताओं को मंच से दूर कर कार्यकर्त्ताओं के साथ बैठने को मजबूर कर दिया! बाहर खाने के पंडाल में भी सभी एक ही लाइन में दिखे। खाने के टेबल पर कार्यकर्त्ताओं और नेताओं की लंबी भीड़ ने दोनों के बीच स्पेशल स्टेट्स का अंतर मिटा दिया। मंच संचालन भी राहुल के युवा साथियों की प्रभावी टीम ने संभाल रखा था। राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं को भी भरपूर सम्मान दिया। राहुल के अध्यक्षीय संबोधन के पूर्व मल्लिकार्जुन खड़गे ने और बाद में मीरा कुमार ने अपना संबोधन दिया। इन दोनों नेताओं की पहचान कांग्रेस के बड़े दलित नेताओं में होती है.कर्नाटक में बड़ी संख्या में दलित आबादी को देखते हुए मीरा कुमार को बड़ी जिम्मेदारी के संकेत आज दिखे जब राहुल के सलाहकार बने सैम पित्रोदा ने भी उनको खासा सम्मान दिया। खास बात रही कि अहमद व उनकी टीम हाशिए पर दिखाई दी, वहीं डा. मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, सुशील कुमार शिंदे, अशोक गहलोत और एके एंटोनी कांग्रेस की पहचान गांधी टोपी लगाए प्रमुख भूमिका में नजर आए। सबकी नजर हाल में राहुल गांधी की सफल विदेश यात्रा से चर्चित सैम पित्रोदा पर थी. राहुल ने अपने पहले अध्यक्षीय संबोधन में मोदी सरकार पर जबर्दस्त हमला बोला कि मौजूदा वक्तमें भाजपा समाज को आपस में बांटने की राजनीति कर रही है। राजनीतिक फायदे के लिए लोगों को आपस में लड़ाने की कोशिश हो रही है। अपने चुनाव चिन्ह हाथ की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने इसको कांग्रेस का प्रतीक बताया। अध्यक्ष होने के नाते मेरा काम अनुभव और युवा जोश को साथ लेकर चलना है। अधिवेशन में गुलाम नबी आजाद समय-समय पर पर्ची के जरिए राहुल को संदेश और सुझाव देते नजर आए। अहमद पटेल, सी.पी. जोशी, मुकुल वासनिक, मोहन प्रकाश, बी.हरिप्रसाद, अशोक चव्हान जैसे नेताओं के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी। कांग्रेस के वफादार माने जाने वाले सतीश चतुर्वेदी का निलंबन और विदर्भ के कई बड़े नेताओं को एआईसीसी सदस्य न बनाए जाने की वजह से मोहन प्रकाश और अशोक चव्हान नाराज होकर कांग्रेस अध्यक्ष से नजरें छिपाते नजर आए। चुनाव प्राधिकरण के मुखिया मुल्लापली रामाचंद्रन के साथ कांग्रेसियों को दादागिरी दिखाने वाले मधुसूदन मिस्त्री भी भीड़ में खो गए। अलबत्ता अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव और दिव्या स्पंदना जैसी युवा चेहरों से राहुल मशविरा करते जरूर दिखे।
महाराष्ट्र से सांसद राजीव सातव, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अमरेंद्र राजा बरार, गुजरात से विधायक दल के नेता परेश धनानी, मध्यप्रदेश से कद्दावर नेता कमलनाथ व मुख्यमंत्री का चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान से सचिन पायलट भी असरदार नेता नजर आए। ऐसा आभास हुआ कि आने वाले समय में ये अपने-अपने प्रदेशों में बड़े क्षत्रप बनकर उभरेंगे। अधिवेशन के दूसरे दिन के अंतिम सत्र में पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भी पार्टी की ऐतिहासिक व बलिदानी परंपरा का उल्लेख किया और कहा कि राहुल ने चुनौतीपूर्ण समय में ये जिम्मेदारी संभाली है.दुख होता है कि मनरेगा जैसी हमारी योजनाओं को मोदी सरकार कमजोर और नजरअंदाज कर रही है. साम, दाम, दंड, भेद का खुला खेल चल रहा है, लेकिन कांग्रेस न कभी झुकी है और न झुकेगी। प्रियंका गांधी भले ही अधिवेशन में नहीं मगर पूर्व में तैयारियों का जायजा लेते दिखी.कल आखिरी दिन कांग्रेस कार्यसमिति की घोषणा हो सकती है।

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