मुंबई-दिल्ली और गुजरात की कंपनियों के लूट का केंद्र बन गया था संवाद..

‘राजकुमार सोनी’

रायपुर.छत्तीसगढ़ में जनसंपर्क विभाग की सहयोगी संस्था संवाद ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का चेहरा चमकाने के लिए जिन 21 कंपनियों को काम दे रखा था उनमें से अधिकांश का संबंध मुंबई-दिल्ली और गुजरात से था.जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संवाद में बड़ा काम लेने के लिए स्थानीय स्तर पर सूचीबद्ध सभी फिल्मकारों को कमीशन देना पड़ता था, लेकिन जो कोई भी गुजरात की धौंसपट्टी दिखाता था उसे नियमों-कानून को बलाए-ए-ताक पर रखकर काम सौंप दिया जाता था.

वीडियो फिल्म एवं सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री के प्रचार-प्रसार का जिम्मा मूविंग पिक्सल नाम की जिस कंपनी को दिया गया था वह अहमदाबाद की थी. उसके कर्ताधर्ता स्थानीय फिल्म निर्माताओं को दोयम दर्जें का समझते थे. सरकार के कामकाज पर फीडबैक हासिल कर उसका विश्लेषण करने के लिए अहमदाबाद की वार रुम स्ट्रेटजी सक्रिय थीं, लेकिन इस कंपनी का सारा कामकाज चिप्स में होता था जिसके कर्ताधर्ता सुपर सीएम थे.

फोटोग्राफी का काम भी गुजराती को..

वैसे तो जनसंपर्क विभाग में कुल नौ फोटोग्राफर कार्यरत है,लेकिन जनसंपर्क आयुक्त राजेश टोप्पो ने हर तरह की फोटोग्राफी का जिम्मा भी कृति स्टूडियो संचालित करने वाले एक गुजराती को सौंप दिया था. इस स्टूडियो के कर्ताधर्ताओं ने मुख्यमंत्री निवास में एक मशीन लगा रखी थीं. जो कोई भी मुख्यमंत्री से मिलने जाता उसे आधे-घंटे के दरम्यान तस्वीरें सौंप दी जाती थी. इस काम के लिए स्टूडियो को हर माह पांच लाख का भुगतान दिया जाता था. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेताओं के आगमन पर एयरपोर्ट में भी यूनिट डाली जाती थीं. व्हीकल माउंटेड एलईडी स्क्रीन के माध्यम से मुख्यमंत्री के दौरों की प्रदर्शनी का ठेका व्यापक इंटरप्राइजेस नाम की जिस कंपनी को मिला था वह कंपनी गुजरात की नहीं थीं, लेकिन इस कंपनी को भी मेटेंनस के नाम पर प्रत्येक माह पांच लाख 60 हजार रुपए का भुगतान दिया गया है. आपने थ्री-डी, फोर डी तो सुना होगा, लेकिन सरकार ने अपने कामकाज को रेखांकित करने के लिए पाइव डी फार्मेट में भी एक फिल्म बनाई थीं. यह फिल्म सिर्फ नई राजधानी के एक विशेष हॉल में देखी जा सकती थीं. एक कंपनी ऐसी भी थीं जिसने जगदलपुर से सुकमा तक होर्डिंग का ठेका ले रखा था. इस कंपनी ने दंतेवाड़ा में प्रधानमंत्री के आगमन के दौरान महज पांच सौ मीटर में ब्रांडिंग करने के भी करोड़ों रुपए हासिल किए हैं.

सलाहकारों की पौ-बारह..

पूर्व सरकार ने वैसे तो कई तरह के सलाहकार पाल रखें थे. उर्जा विभाग में सलाहकार थे तो मुख्यमंत्री निवास में भी सलाहकारों की पौ-बारह थीं. सरकार ने सरकारी साहित्य के प्रकाशन के लिए सूरजपुर मध्यप्रदेश की संगीता एम रसैली मिश्रा को भी काम दे रखा था. इसी तरह दस्तावेजीकरण एवं संग्रहण के लिए सत्येंद्र खरे भोपाल को अनुबंधित कर रखा था.

2005 बैच के अफसरों का बोलबाला..

कांग्रेस के शासनकाल में जनसंपर्क की कमान भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के हाथों में होती थीं. वर्ष 2014 में जनसंपर्क विभाग की कमान बैजेंद्र कुमार के हाथों में थीं, लेकिन उन्हें रुखसत किए जाने के बाद जूनियर अफसर हावी हो गए. भाजपा की टोपी पहनने वाले ओपी चौधरी भी थोड़े समय तक जनसंपर्क विभाग में पदस्थ रहे. ओपी के बाद रजत कुमार और फिर राजेश टोप्पो ने कामकाज संभाला. बीच में कुछ समय के लिए संतोष मिश्रा और जीएस मिश्रा भी पदस्थ किए गए थे. बताते हैं कि दोनों अफसर सुपर सीएम के हस्तक्षेप से बहुत ज्यादा नाराज थे. दोनों अफसर जल्द ही हटा दिए गए.

जांच चल रही हैं..

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 21 से ज्यादा कंपनियों के खिलाफ जांच बिठाई गई है. अनियमिताओं के सामने आने के बाद दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई अवश्य की जाएंगी.

तारण सिन्हा (आयुक्त एवं सह-संचालक जनसंपर्क)

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