बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओ ने की कमरतोड़ मेहनत, मस्तूरी में बांधी की जीत को लेकर आश्वस्त कार्यकर्ताओ ने कहा, भाजपा आवत हे.

बिलासपुर. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के लिए आज सुबह आठ बजे से वोट डाले जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के 20 विधान सभाओ में 7 नवंबर को मतदान हुए थे। अब 17 नवंबर को 70 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है, वहीं दिन-रात चुनाव प्रचार में लगे प्रत्याशी अंतिम दिन भी मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क कर चुनाव आयोग के नियम अनुसार जनसंपर्क करते दिखे।

छत्तीसगढ़ के जिन 70 सीटों पर सब की निगाहें टिकी हुई है उनमें से मस्तूरी विधानसभा भी एक है। यहां भाजपा के दिग्गज नेता डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी चुनाव मैदान में है । मस्तूरी विधानसभा में 2018 में 2 लाख 70 हज़ार 582 मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था। 69 प्रतिशत से अधिक मतदान में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को 67,950 वोट मिले थे । 2018 में उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के जयेंद्र सिंह पाटले 53 हजार 843 वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे, तो वही इस वर्ष एक बार फिर डॉक्टर बांधी के मुकाबिल कांग्रेस के दिलीप लहरिया को 53 हजार 620 वोट ही मिले थे। जानकार बताते हैं कि अगर वोटिंग प्रतिशत अधिक रहेगा तो इसका सीधा लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलने वाला है। मस्तूरी विधानसभा में 2023 में मतदाताओं की संख्या 3 लाख 5001 है , जिनमें से पुरुषों की संख्या 1,54,360 और महिलाओं की संख्या 1,50,660 है मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, जिसमें महिलाओं और युवा वर्ग की संख्या अधिक है और यह वर्ग भाजपा का कोर वोटर माना जाता है

अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी तीन बार विधायक रह चुके हैं। अपने क्षेत्र में चर्चित चेहरे तो है ही साथ ही उनकी मतदाताओं और क्षेत्र पर अच्छी पकड़ भी है । भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पेशे से चिकित्सक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी स्वास्थ्य मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री ,अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं।

आमतौर पर मस्तूरी विधानसभा में भाजपा के कोर वोट की संख्या करीब 64,000 है। इसमें जरा सी बढ़ोतरी से ही भाजपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो जाती है। यही कारण है कि इस बार भी डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ही सट्टा बाजार से लेकर चुनावी पंडितों के भी फेवरेट बने हुए हैं । सभी एग्जिट पोल में भी उन्हें विजयी बताया जा रहा है। इसके पीछे एक तरफ जहां डॉक्टर कृष्ण मूर्ति बांधी का मिलनसार स्वभाव, उनका शिक्षित और शालीन होना प्रभावी है तो वही मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के 6 मंडलों में पिछले पांच सालों से लगातार सक्रिय मंडल अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियो की भी बड़ी भूमिका है।

साल 2018 में भाजपा को मिली हार के बाद जहां सभी विधानसभाओ में भाजपा के कार्यकर्ता हताश और निराश नजर आ रहे थे तो वहीं इससे उलट मस्तूरी विधानसभा से डॉ बांधी के साथ पार्टी के पदाधिकारियो ने दुगनी मेहनत की, संगठन को मजबूत करने के साथ नए उत्साही लोगों को अवसर दिया गया, जो लगातार जनता के बीच पहुंचकर उनके सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में बहुत कम वक्त मिलने पर भी भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रचार में अन्य पार्टियों से काफी आगे नजर आई। डॉ कृष्णमूर्ति बांधी के प्रतिद्वंद्वी भी मान रहे हैं कि चुनाव प्रचार की रणनीति और संगठन की मजबूती के मामले में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी उनसे मिलों आगे रहे हैं।

दरअसल आजकल चुनाव पूरी तरह से मैनेजमेंट का खेल है और जिस तरह से पूरे 5 साल डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी और उनके साथ जुड़े भाजपा के पदाधिकारी ने मेहनत की, वह किसी परीक्षा से काम नहीं थी। अब 17 नवंबर को इसी का इम्तिहान है, जिसके परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे। मस्तूरी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी और उनके समर्थक इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि जीत उनकी ही होगी। उनके बीच तो बहस का मुद्दा यह हैं कि उनकी जीत का अंतर कितने वोटो से होगा।
यह आत्मविश्वास एक दिन में नहीं आता। इसके लिए बरसों की मेहनत और रणनीति गत तैयारी की भूमिका है। अंतिम दिन भी भाजपा प्रत्याशी और उनके समर्थकों ने गांव-गांव में लोगों से भेंट कर शत प्रतिशत मतदान के लिए उन्हें प्रेरित किया।

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