खैरागढ़। भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के सेवानिवृत कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल गेड़ी को लेकर नए खेल की रचना की है. इस खेल को उन्होंने ‘गेड़ी फुटबॉल’ का नाम दिया है. “गेड़ी-बॉल” की इस अवधारणा के प्रणेता बीएसपी के पूर्व कार्यपालक निदेशक एसके जैन और इसे मूर्त रूप देने वाले बीएसपी के पूर्व कार्मिक व खेल प्रशिक्षक ताजुद्दीन हैं.छत्तीसगढ़ में गेड़ी, गांव-गांव, शहर-शहर में छत्तीसगढ़ी संस्कृति का हिस्सा है, जिसे लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व कर्मियों के सहयोग से खैरागढ़ में इस नये खेल का आगाज किया गया. स्थानीय फतेह सिंह खेल मैदान में आज एक दिवसीय गेड़ी फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें खैरागढ़, बेमेतरा, राजनांदगाँव और मानपुर मोहला जिले की टीमों ने हिस्सा लिया. गेड़ी यानी दो लंबे बांस और प्रत्येक में 08 से 10 सेंटीमीटर के बांस के तुकड़ों को ऐसे जोड़ा जाता है, जिस पर व्यक्ति खड़े हो सकें. युवक इन पर हफ्तों खड़े होने का प्रयास करते हैं, फिर चलने का और जब चलना आ गया तो दौड़ लगाने का अभ्यास किया जाता है. यह सब आसान नहीं है.इस नये खेल “गेड़ी-बॉल” की परिकल्पना संयंत्र के पूर्व अधिकारियों व कार्मिकों द्वारा किया गया और वे लगातार इस खेल का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. ज़िला स्तरीय प्रतियोगिता के बाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता भी करवाई जानी है. इस वर्ष खैरागढ़ जिले में तीन जिलों की टीमों के बीच मुक़ाबला हुआ. “गेड़ी-बॉल” की इस अवधारणा के प्रणेता पूर्व कार्यपालक निदेशक एसके जैन एवं इसे मूर्त रूप देने वाले सीएसआर के पूर्व कार्मिक व खेल प्रशिक्षक ताजुद्दीन विशेष रूप से उपस्थित थे.
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