पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को तीन साल बाद जमानत मिली, वे स्कूल भर्ती घोटाले के मामले में गिरफ्तार हुए थे

एसएससी भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को मंगलवार को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किए जाने के तीन साल और तीन महीने बाद उन्हें जमानत मिल गई है। पिछले 203 दिनों से दक्षिण-पूर्व कोलकाता के मुकुंदपुर इलाके के एक निजी अस्पताल में भर्ती चटर्जी को जमानत बांड भरने के बाद न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया।


सीबीआई की ओर से जांचे जा रहे संबंधित मामलों में सोमवार को एक निचली अदालत के समक्ष गवाहों की पूछताछ पूरी होने के बाद उनकी रिहाई हुई। उन्हें पहले ईडी के मामलों में जमानत दी गई थी, जबकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संबंधित सीबीआई मामलों में इस शर्त पर जमानत दी थी कि जब तक एजेंसी गवाहों से पूछताछ पूरी नहीं कर लेती, तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा।



चटर्जी के अनुयायी बड़ी संख्या में अस्पताल के सामने इकट्ठे हो गए थे और भावुक माहौल के बीच ‘पार्थ दा जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे, जब तृणमूल कांग्रेस के पूर्व महासचिव अपनी कार में सवार होकर दक्षिण कोलकाता में नाकतला स्थित अपने आवास के लिए रवाना हुए।


चटर्जी की गर्ल फ्रेंड के घर से मिली थी बड़ी रकमपार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से तलाशी के दौरान 29 करोड़ रुपये कैश मिला था। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सोना भी बरामद हुआ था। इस बीच सीएम ममता बनर्जी ने आरोपी मंत्री पार्थ चटर्जी को पद से हटा दिया था।


शिक्षक भर्ती में लगा था घोटाले का आऱोप

बता दें कि, टीएमसी के वरिष्ठ नेता और 2001 से विधायक चटर्जी ने 2011 से 2022 तक ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया और 2016 से शिक्षा विभाग संभाला। उन पर राज्य शिक्षा विभाग में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों, सहायक शिक्षकों और ग्रुप डी कर्मचारियों जैसे पदों पर अयोग्य उम्मीदवारों की अवैध नियुक्ति का आरोप लगाया गया है।


पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के असफल उम्मीदवारों द्वारा व्यापक अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद यह विवाद सामने आया। याचिका पर कार्रवाई करते हुए, हाई कोर्ट ने 8 जून, 2022 को सीबीआई जांच का आदेश दिया। सीबीआई ने अगले दिन एक प्राथमिकी दर्ज की, जबकि ईडी ने 24 जून, 2022 को कई राज्य शिक्षा अधिकारियों के नाम पर मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया।






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