‘OMG’ – सेंट्रल जेल में हुकूमत के लिए एक दूसरे की जान लेने तुले दो गुट.

•जेल प्रबंधन ने थकहारकर ली पुलिस की शरण, दोनों गुटों पर धारा 307 और बलवा के तहत मामला दर्ज.

बिलासपुर. बीते दिनों सेंट्रल जेल में दो गुटों के बीच हुए आपसी विवाद और जमकर मारपीट का रहस्य अब खुलने लगा है। वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ने वाले सजायाफता कैदियों से सक नही पाने में नाकाम जेल प्रबंधन ने अब घटना से पुलिस को अवगत कराया है इधर एसपी रजनेश सिंह के निर्देश पर सिविल लाइन जेल में प्रहार किया दोनों पक्षों के खिलाफ धारा 307, बलवा के तहत जुर्म दर्ज कर लिया है।

मालूम हो कि बीते दिनों सेंट्रल जेल की चार दिवारीयों के भीतर अपनी हुकूमत कायम रखने को लेकर दो पक्षों में हुई जमकर मारपीट की घटना को सब से पहले ‘OMG NEWS NETWORK’ ने जेल में ढिशुम ढिशुम की खबर को ब्रेक किया था। जिसे जेल प्रबंधन लगातार छिपाता रहा और अपने तरीके से हैंडल करने की जुगत में लगा था। लेकिन जेल के भीतर सजायाफता कैदियों की एक अलग दुनिया और उनके वर्चस्व के आगे बौना बन चुके जेल प्रबंधन ने अब पुलिस की शरण में जाना ही बेहतर समझा है।

मिली जानकारी के अनुसार सेंट्रल जेल में दो गुटों के बीच खाना खाने को लेकर पहले बहस हुई और नौबत जमकर हाथापाई तक पहुंच गई थी। मारपीट करने वाला एक गुट रायपुर और कवर्धा तो वही दुसरा गुट बिलासपुर से ताल्लुक रखता है। करीब एक दर्जन सजायाफता कैदियों ने मारपीट कर ऐसा उत्पाद मचाया कि जेल के अफसर और स्टाफ भी एक दूसरे का मुंह ताकते रह गए और दोनों गुटों के कैदियो को कसने के बजाय घटना को दबाने में लगे रहे इधर ‘OMG NEWS NETWORK’ ने जैसे ही घटना को जेल की चार दिवारीयों से बाहर लाया तो जेल प्रबंधन भी चौकस हो गया। जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी के प्रतिवेदन पर टीआई सिविल लाइन प्रदीप आर्य अपनी टीम के साथ जेल पहुंचे और घटना की बारीकी से जांच कर आपस में भिड़ने वाले दोनों गुटों के कैदियों के खिलाफ धारा 307, बलवा का जुर्म दर्ज कर लिया है। अंतिम में जानिए कैदियों के नाम.

इसलिए भिड़े दोनों गुट.

जेल के भीतर की एक अलग ही दुनियां है जिसमे बिलासपुर सेंट्रल जेल में एक ऐसी जगह है जहां के काले कारनामों की लम्बी फेहरिस्त है। सब कुछ जेल प्रबंधन की शह पर होता है। जिसमे जेल स्टाफ का कुछ पार्ट भी शामिल है। बिलासपुर सेंट्रल जेल के काले कारनामों की दस्ता से ‘OMG NEWS NETWORK’ अपने पाठकों को पहले ही अवगत करा चुका है। अब बताते हैं कि आखिर दोनो पक्षों के बीच जमकर लात घुसे क्यों चले, बताया जा रहा है एक गुट के रायपुर और कवर्धा के सात सजायाफता कैदी और दूसरे गुट बिलासपुर के चार सजायाफता कैदियों के बीच खाना खाने को लेकर गैगवार हुआ था। होली से पहले यानी 22 मार्च को भिड़े कैदियों की करतूत को जेल अधीक्षक मंडावी समेत पूरा अमला छिपाता रहा जबकि सारंगढ़ उप जेल में हुई घटना की सारी जांच का जिम्मा बिलासपुर जेल अधीक्षक मंडावी के कंधो पर था या यूं कहें कि अपनी बारी आई तो पाक साफ बन लुका छिपी का खेल खेलने लगे।

जेल में ही बना हथियार.

जो जानकारी मिल रही है वो काफी गंभीर है प्रदेश सरकार और जेल डीजी के सामने सेंट्रल जेल बिलासपुर को अपनी प्रशासनिक ताकत के दम पर चलाने का आइना दिखाने वाले जेल प्रबंधन की नाक के नीचे कैदियों ने मारपीट करने हथियार तैयार किया और जेल के अफसरों – स्टाफ को भनक तक नही लगी। कैदियों ने चम्मच और सब्जी काटने वाले को नुकीला चाकू नुमा तेज धार किया और एक दूसरे पर टूट पड़े। मारपीट की घटना इतनी ज्यादा हुई थी कि अन्य कैदियों को अलग कर लड़ाई में घायल कैदियों को जेल के हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज किया गया था।

कैदी रायपुर, कवर्धा गुट.

1,मोहसिन खान रायपुर
2,आसिफ खान रायपुर
3,शेख रफ़ीक़ कवर्धा
4,शेख इदरीश खान कवर्धा
5,अब्दुल मेहताब कवर्धा
6,मोहम्मद सुफियान कुरैशी कवर्धा
7,अयाज खान कवर्धा

कैदी बिलासपुर गुट.

1,अल्ताफ खान
2,क़मर अली उर्फ चीना
3,फिरोज खान
4,जलील खान

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