• जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र, छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा राष्ट्रभक्ति और वीरता को समर्पित.
बिलासपुर. कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र, छत्तीसगढ़ प्रांत (जो कि जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र, नई दिल्ली से संबद्ध है) के तत्वावधान में लखीराम अग्रवाल सभागार में एक अत्यंत प्रेरणादायक एवं गरिमामयी शौर्य एवं बलिदान स्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय सशस्त्र सेनाओं की बहादुरी, बलिदान और राष्ट्रसेवा की भावना को सम्मानित करने तथा युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया।
इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य कारगिल युद्ध में भारत की विजय की स्मृति को ताजा करना था, जब भारतीय सैनिकों ने दुर्गम और विषम परिस्थितियों में अपने अद्वितीय शौर्य और साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान के कब्जाधारी सैनिकों को पराजित किया था। इस दिन को मनाना केवल सैन्य विजय का उत्सव नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रति निष्ठा, त्याग और संकल्प की भावना को पुष्ट करने का अवसर भी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजीव शुक्ला आईजी ने भारतीय सेना के अदम्य साहस और शौर्य को प्रणाम करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध न केवल एक सैन्य संघर्ष था, बल्कि यह भारत की एकजुटता, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय चरित्र की परीक्षा थी, जिसे हमारे वीर सैनिकों ने पूरी गरिमा से पास किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय अग्रवाल कलेक्टर ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि देश की सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात जवानों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने कर्म, विचार और आचरण से राष्ट्र को मजबूत बनाए।
मुख्य वक्ता के रूप में नागेन्द्र वशिष्ठ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, ने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कारगिल विजय के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत का यह विजय केवल रणभूमि में नहीं, बल्कि विचारों की भूमि पर भी था। कारगिल युद्ध हमें यह सिखाता है कि जब देश की अखंडता पर खतरा हो, तो प्रत्येक भारतीय सैनिक से लेकर नागरिक तक, सब एकजुट होकर उसका सामना कर सकते हैं।
एसएसपी रजनेश सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि हमारी सशस्त्र सेनाएं ही नहीं, बल्कि हमारे पुलिस बल भी अंदरूनी सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। कारगिल विजय दिवस हमें यह सिखाता है कि हम सभी को अपने-अपने क्षेत्र में देशभक्ति को आत्मसात करते हुए कार्य करना चाहिए।
इन वीर अधिकारियों ने अपने सैन्य अनुभवों, कारगिल युद्ध के दौरान की स्थितियों और देश सेवा के किस्सों को साझा करते हुए युवा वर्ग को देश सेवा की प्रेरणा दी। उनके शब्दों में वह भावना स्पष्ट झलक रही थी जो सैनिकों को राष्ट्र के लिए मर-मिटने को प्रेरित करती है।
कार्यक्रम में ब्रजेन्द्र शुक्ला, सचिव, जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र, छत्तीसगढ़ प्रांत, ने संगठन की गतिविधियों और जम्मू-कश्मीर व देश की सीमाओं की संवेदनशीलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें केवल भौगोलिक सीमाओं की नहीं, वैचारिक सीमाओं की भी रक्षा करनी है। उन्होंने बताया कि अध्ययन केन्द्र देशभर में युवाओं को राष्ट्रवादी सोच और ऐतिहासिक बोध से जोड़ने का कार्य कर रहा है।
इस आयोजन के संयोजक धीरज कुमार वानखेडे ने कार्यक्रम की संकल्पना, आयोजन और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सतत मेहनत और संयोजन से यह आयोजन एक प्रेरणादायक मंच में परिवर्तित हुआ।
कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, शिक्षक, विद्यार्थी, प्रशासनिक अधिकारी, पूर्व सैनिक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकारगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे। युवाओं में विशेष उत्साह देखा गया जो पूरे कार्यक्रम के दौरान गहरी गंभीरता और गौरव के साथ सहभागी बने रहे।
सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति.
कार्यक्रम में भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के सम्मानित सेवानिवृत्त अधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक प्रेरणादायक बना दिया। इनमें शामिल थे: जिनमें कर्नल (डॉ.) पी. एल. केशरवानी (से.नि.), भा. थल सेना से, कर्नल राकेश सिंह बिसेन (से.नि.), भा. थल सेना से व ग्रुप कैप्टन संजय पांडेय, वी.एस.एम. (से.नि.), भा. वायु सेना, कमांडर हरिशचन्द्र तिवारी (से.नि.), भा. नौसेना एवं जिला सैनिक कल्याण अधिकारी शामिल थे।



