पुरखा के सुरता कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की वास्तविक पहचान को देख आईजी झा हुए गदगद,कहा.

• संत हरकेवल शिक्षा महाविद्यालय में रजत महोत्सव 2025 पुरखा के सुरता का आयोजन.


• चीफ गेस्ट के रूप में रेंज आईजी झा ने शिरकत की.


अंबिकापुर. मंगलवार को महाविद्यालय में रजत महोत्सव 2025 में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य,लोक संस्कृति प्रदर्शनी (झांकी )छत्तीसगढ़ गढ़ कलेवा का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि दीपक कुमार झा ( पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज) कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.प्रेम प्रकाश सिंह ( संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय कुलपति अंबिकापुर ) एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में अमृतलाल ध्रुव ( अपर कलेक्टर राम सिंह ठाकुर ( अपर कलेक्टर ),गिरीश गुप्ता,शैलेंद्र मिश्रा, प्रो.रश्मि कौर, वंदना दत्ता, मुकेश अग्रवाल, मंगल पांडे,संतोष विश्वकर्मा, अमृता जायसवाल, हिना खान,रजनीश मिश्रा,प्रीति तिवारी, इंदु मिश्रा इत्यादि उपस्थित हुए ।



कार्यक्रम की शुरुआत श्री गणेश जी की स्तुति और मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और स्वागत नृत्य से किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अपने पारंपरिक संस्कृति को समसामयिक पीढ़ी से चिर परिचित कराते हुए इसकी वास्तविकता और इसकी जड़ों में छुपी हुई खासियत को बताना था।


कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्य जिसमें कर्मा नृत्य, राउत नाचा, शैला नृत्य और सुआ नृत्य जैसी विभिन्न प्रस्तुतियों को प्रशिक्षार्थियों ने प्रस्तुत किया जो सभी अपने पारंपरिक पहनावे,वेशभूषा और वाद्य यंत्रों से सुशोभित रहा जिसमें प्रशिक्षार्थियो ने कर्मा नृत्य के माध्यम से सभी को झूमने पर मजबूर किया तो कभी राउत नाचा के तहत कृष्ण लीला की अनेक झलकियां दिखाते हुए हमें गोकुल और मथुरा के धरातल पर ले गए तथा शैला नृत्य के जरिए वे हमें यहां की फसल की उपज और कटाई पर खुशी के माहौल को दर्शाया तथा सुआ नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ के धान की कटोरा होने के रहस्य को समझाते हुए लोक संस्कृति प्रदर्शनी की ओर ले गए जिसमें महाविद्यालय के डेजी सदन द्वारा कर्मा झांकी, जैस्मिन सदन - राउत नाचा लिली सदन ने शैला झांकी तथा ट्यूलिप सदन सुआ झांकी को प्रदर्शित किया जिसमें उन्होंने पारंपरिक तरीके से करम डाढ का दीप पूजा अर्चना दिखाते हुए अपने विभिन्न वाद्य यंत्रों जैसे मांदर, ढोल,टीमकी,नगाड़ा के साथ अनेक कलाकृतियां और पेंटिंग के माध्यम से यहां के लोग संस्कृति को भी बहुत अच्छे ढंग से दर्शाया जिसके जरिए हम आज के वर्तमान युग में अपनी वास्तविक पहचान को ढूंढने में खुशी और उमंग के साथ पुरखा के सुरता को समझ पाए।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में छत्तीसगढ़ी गढ़ कलेवा पकवान का आयोजन किया गया। जिसमें पारंपरिक भोज भात, डुबकी, चावल रोटी,दलपीठी,लाटा, लकड़ा भाजी, कुमड़ा भाजी, फरा, तथा विभिन्न प्रकार की चटनियां इत्यादि को परोस कर अपनी पाक विद्या का भी लोहा मनवाने पर मजबूर किया इस तरह सभी अतिथियों ने खुले दिल से और सराहनीय शब्दों के साथ सभी प्रशिक्षार्थियों और महाविद्यालय की बहुत प्रशंसा की.


गदगद हुए आईजी और कहा.


आईजी झा ने नृत्य, झांकी और पकवान को देखकर बताया कि वास्तविक छत्तीसगढ़ इतनी खूबसूरत है मेरे को आज के पहले तक पता नहीं था।


वही कुलपति ने भावी शिक्षकों में छिपी हुई गुणवत्ता देखते हुए बताया कि आने वाले भारत के लिए हमें ऐसे ही शिक्षकों की जरूरत है इसी प्रकार सभी अतिथियों ने अपने-अपने प्रासंगिक शब्दों से महाविद्यालय एवं प्रशिक्षार्थियों की भूरि- भूरि प्रशंसा की,सहायक प्राध्यापक रश्मित कौर ने तो यहां तक का डाला कि आपकी बराबरी करने वाला सरगुजा में कोई और महाविद्यालय और विद्यालय नहीं है इतना अच्छा कार्यक्रम और इतनी अच्छी सहभागिता और जगह देखने को नहीं मिलता ।





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