पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम कसने प्रशासन ने लिया कड़ा रुख, निर्माण कार्य की बकाया रकम जमा नहीं करने पर कार्रवाई

सारंगढ़। पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम कसने प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाना शुरू कर दिया है. ग्राम पंचायत भंवरपुर के तत्कालीन सचिव को बकाया रकम जमा नहीं करने पर 30 दिवस के लिए सिविल जेल भेजा गया है. इसके साथ अन्य बकायादार सचिव और सरपंचों के लिए भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं.अनुविभागीय अधिकारी आईएएस प्रखर चन्द्राकर के निर्देशन में पंचायतों द्वारा निर्माण कार्यों में बकाया राशि जमा न करने पर कई सचिवों व सरपंचों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जा रही है. इस कड़ी में ग्राम पंचायत भंवरपुर के तत्कालीन सचिव आलोक थवाईत को 11,95,790 रुपए जमा न करने पर सिविल जेल भेजा गया है. वहीं ग्राम पंचायत गंजाईभौना, गोडिहोरी, रेडा, अमलीपाली ब, जिल्दी और अन्य पंचायतों के सचिवों व सरपंचों के लिए भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं. कुछ पंचायतों की ओर से आंशिक राशि जमा कर दी गई है, परंतु शेष राशि जमा नहीं होने पर उन्हें जेल भेजने की चेतावनी दी गई है. प्रशासन की यह सख्त कार्रवाई भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य पंचायत कर्मियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि बकाया जमा न करने पर संपत्ति कुर्की और जेल की कार्रवाई से भी हो सकती है.


क्या है सिविल जेल

सिविल जेल एक ऐसी प्रक्रिया है, जहाँ न्यायालय किसी ऋणी को उसके कर्ज का भुगतान करने के लिए मजबूर करने के लिए हिरासत में ले सकता है. यह प्रक्रिया व्यक्ति को संपत्ति के कुर्की या श्रम के माध्यम से कर्ज का भुगतान करने के लिए मजबूर करती है. सिविल जेल, जहां एक ऋणी को उसके कर्ज का भुगतान करने के लिए मजबूर करने के लिए होती है, और इसमें व्यक्ति को कैद किया जा सकता है. वहीं आपराधिक जेल उन लोगों के लिए होती है, जिन्हें आपराधिक अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है, और इसमें सजा के रूप में व्यक्ति को कैद किया जा सकता है. 





You May Also Like

error: Content is protected !!