उफ्फ कांग्रेस संगठन!ये क्या कर डाला शहर में..

‘रवि शुक्ला’

बिलासपुर.लगता है कांग्रेस संगठन बिलासपुर शहर की विधानसभा सीट जीतना ही नहीं चाहता था और शहर के लोगों ने अपनी तरफ से विधायक शैलेश पांडे को जिता दिया। इसका नतीजा यह है कि कांग्रेस की सत्ता और संगठन ने अपने विधायक शैलेश पांडे को इलाके में झण्डारोहण तक कराने योग्य नहीं समझा। यह साफ संकेत है कि कांग्रेस एक नई तरह की गुटबाजी की ओर बढ़ रही है।

भाजपा के कद्दावर मंत्री अमर अग्रवाल जिसने शहर के पुलिस मैदान में पन्द्रह साल में 19 बार पन्द्रह अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा फहराया हो उसे रिकार्ड मतों से हराने वाले कांग्रेस विधायक पांडे को कांग्रेस सरकार में सरेआम उपेक्षा से शहर के लोग एक बार फिर तिलमिला गए हैं। शहर के विधायक को अपने ही शहर में तिरंगा फहराने से रोकने को लेकर सवाल गहराने लगे हैं। कांग्रेस संगठन में पांडे के साथ दुर्व्यवहार का मतलब साफ है कि संगठन उनको नहीं, किसी और को जिताना चाहता था लेकिन धोखे से पांडे जीत गए और यह बात अब तक नहीं पच रही है।

कांग्रेस के शहर अध्यक्ष से लेकर प्रदेश आलाकमान तक पांडे को रोका जाना साफ बताता है कि कोई डील ऐसी थी जिसके टूटने का गम सरकार में आने के बाद भी कमतर नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि पांडे को पहले तो मंत्री या इसका दर्जा देने लायक नहीं समझा गया फिर मुंगेली जिले से जहां कांग्रेस का कोई विधायक भी नहीं है वहां का झंडा भी फहराने के लायक नहीं माना गया।

इसलिए नहीं आते साफ छवि वाले..
सियासत में शायद यही वजह है कि गैर राजनैतिक लोग या सामाजिक छवि वाले शायद इसीलिए नहीं आते कि उन्हें सालों से घुटे पिटे नेता बर्दाश्त नहीं कर पाते और इसी किवदंती का पांडे भी शिकार होते दिख रहे हैं। अब पांडे के ऊपर है कि वे इन विपरीत परिस्थितियों में अपने साथ मिले जन समर्थन का मान बचाने क्या रणनीति अपनाते हैं। इसके लिए सियासी जानकारों की कुशल टीम बनाना और अपनी धार को पैनी करना लाजिमी हो गया है।

प्रदेश में 15 साल और शहर में 20 साल का वनवास काट सत्ता में लौटी कांग्रेस पार्टी आज भी अपनी गुटबाजी नीति को नही भूली और लगता है भूलना भी नही चाहती यह गुटबाजी का ही नतीजा था जो कांग्रेस को राज्य में विपक्ष की भूमिका निभाने में जनता ने मजबूर कर दिया था यही हाल बिलासपुर का भी रहा शहर में चुनावी समर और उससे पहले भी लगातार एक दूसरे की टांग खिंची गई नतीजन कांग्रेस सत्ता में काबिज नही हो पाई।

शहर की जनता के मुताबिक जिस नए चेहरे को पार्टी ने टिकिट दिया उसने बीजेपी सरकार के मैनजमेंट मंत्री अमर अग्रवाल को शिकस्त दी और कांग्रेस का परचम लहराया हम बात कर रहे है उपेक्षा का बार बार शिकार हो रहे स्वच्छ छवि,संस्कारी और शिक्षाविद नगर विधायक शैलेश पांडेय की 26 जनवरी के अवसर पर नगर विधायक होने के नाते तखतपुर की विधायिका रश्मि सिंह को बतौर मुख्य अतिथि बनाए जाने की बात शहर वासियों के हलक से नीचे नही उतर रही है।तस्वीर साफ है कि शहर कांग्रेस पार्टी संगठन को शैलेश पांडेय की जीत नही पच रही है लेकिन अब तो प्रदेश कांग्रेस संगठन भी नगर विधायक को डेमेज करने पर आमादा है पहले सीएम भूपेश बघेल के प्रथम नगर आगमन पर कांग्रेस अध्यक्ष जिला नरेंद्र बोलर द्वारा सीएम के वेलकम को लेकर विधायक का हाथ पकड़ लेना वही दूसरी बार कांग्रेस भवन में मंत्री जय सिंह अग्रवाल की प्रेस कांफ्रेंस में विधायक को कुर्सी ना देना इन दोनों ही घटनाओं में चेहरा भले ही नरेंद्र बोलर का था मगर इशारा किसी और का

अब 26 जनवरी को प्रदेश में ध्वजारोहण की लिस्ट में सिर्फ बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडेय का नाम नही होना कांग्रेस की गुटबाजी को साफ दर्शा रहा है जबकि मुंगेली जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा ध्वजारोहण करवा श्री पांडेय का कद छोटा करने की पुरजोर कोशिश की गई है पता नही क्यो यह सब किसके इशारे पर हो रहा है ऐसा भी नही है कि सरकार के मुखिया को बिना बताए लिस्ट तैयार की गई होगी फिर भी उपेक्षा कर ही दी गई।इतना सब कुछ हो गया ‘मगर वाह रे कांग्रेस पार्टी के नए नवेले विधायक के मुंह से आह तक नही निकली वो बोले भी तो बस इतना ही कि ये मेरा नही बिलासपुर की जनता का अपमान है’।

शायद लोकसभा याद नही..

लगता है शहर और प्रदेश कांग्रेस पार्टी संगठन को आगामी लोकसभा का चुनाव याद नही है अगर याद भी है तो विधानसभा में उम्मीद से ज्यादा सीटे मिलने से कांग्रेस पार्टी फूले नहीं समा रही है जनता के द्वारा चुने गए नगर विधायक की बार बार उपेक्षा अब किसी से छुपी नहीं है लोग जान गए हैं कि श्री पांडेय को संगठन तव्वजो नही दे रहा है इसके बाद भी श्री पांडेय अपनी सरल छवि के कारण जनता के दिलो में जगह बनाए हुए हैं विधायक को नही पचा पा रहे संगठन ने मीडिया को भी लिखने की खुली आजादी दे दी है उनकी हरकतों ने कांग्रेस संगठन को कटघरे में खड़ा कर दिया है तो वही जनता जनार्दन भी अब खुल कर बोलने लगी है की ऐसा ही चलता रहा तो लोकसभा चुनाव क्या पार्टी जीत जाएगी या विधायक की अनदेखी करने वाले कांग्रेस पार्टी के सिर पर जीत का सेहरा बांधेगे।यह बताना लाजमी होगा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में शहर की जनता ने कांग्रेस पार्टी को नही बल्कि व्यक्ति विशेष को वोट देकर जीत दिलाई है।इधर श्री पांडेय के बार बार तिरस्कार से एक विशेष समाज भी नाराज हो गया है।

मिल गे फूल छाप मन ला मौका कहिन..

आइसक्रीम के चक्कर में चुना खा गए की परिभाषा को विधिवत परिभाषित करते हुए बिलासपुर विधानसभा की 226000 मतदाता,नगर निगम के 56 वार्डों के विधायक क्या शहर 5 वर्ष आगे जाएगा या सिर्फ भविष्य जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारों के साथ शहर का विकास या चल रहे कार्यों की गति पर विराम लगेगा या फिर राजनीतिक शिकार होकर जनता पुनः आगे आने वाले समय में शहर को गांव में तब्दील हो चुके सपने को साकार करने के लिए क्या करेगी जनता राजनीतिक शिकार की जनता सोचनीय विषय।

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