दक्षिण के द्वार पर अबकी बार कांग्रेस खड़ी, क्या भाजपा कर पाएगी पार…

बेंगलुरु। कर्नाटक को दक्षिण का द्वार कहा जाता है. कर्नाटक दक्षिण भारत के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर भारत के भौगोलिक और जनसंख्या के लिहाज से ज्यादा करीब माना जाता है. बीते लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 25 पर जीत हासिल की थी. भाजपा इस बार भी अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी, लेकिन सत्तारुढ़ कांग्रेस ने भी अपने लिए महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है. 

इस लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कुल 5.21 करोड़ मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगा. इसमें पुरुष मतदाता 2.62 करोड़ और 2.59 करोड़ हैं. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव को लेकर घोषणा कर दी है. इसके तहत कर्नाटक में दूसरे और तीसरे फेज में चुनाव होने वाले हैं.

देश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे, जिसके दूसरे और तीसरे चरण में कर्नाटक में चुनाव होंगे. 26 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में कर्नाटक के 14 सीटों पर चुनाव होगा. इसमें उडुपी चिकमंगलूर, हसन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मंड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु सेंट्रल, बेंगलुरु साउथ, चिकबल्लापुर, कोलार शामिल हैं.

वहीं 7 मई को होने वाले तीसरे चरण में बाकी के 14 सीटों पर चुनाव होगा. इसमें चिक्कोडी, बेलगाम, बागलकोट, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचुर, बीदर, कोप्पल, बेल्लारी, हवेरी, धारवाड़, उत्तर कन्नड़, दावानगरी, शिमोगा शामिल हैं. दोनों ही चरणों में कर्नाटक के कुल 5.21 करोड़ मतदाता, जिसमें 2.62 करोड़ पुरुष और 2.59 करोड़ महिला मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे.

2019 में बीजेपी ने दर्ज की थी बड़ी जीत

बात करें 2019 लोकसभा चुनाव की तो इसमें बीजेपी ने 28 में से 27 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे, जिनमें से 25 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी. वहीं एक सीट से बीजेपी की सहयोगी सुमालता ने जीत दर्ज की थी. दूसरी तरफ कांग्रेस ने 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार दिये थे. इसमें से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. यही हाल जेडीएस का था, जिसने सात सीट पर अपने कैंडिडेट्स खड़े किए थे, लेकिन एक उम्मीदवार की जीत हासिल कर पाया. यहां तक कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और जेडीएस के पितृपुरुष एचडी देवगौड़ा भी चुनाव हार गए थे.

भाजपा ने मिलाया जेडीएस से हाथ

कर्नाटक विधान सभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए लोकसभा चुनाव में वह कोई गलती दोहराना नहीं चाहती है. इस लिहाज से पार्टी ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी रही जेडीएस से हाथ मिलाया है. भाजपा कर्नाटक की 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछले बार की तुलना में कम सीटों पर लड़ने की वजह से पार्टी मजबूत प्रत्याशियों को मौका दिया है, जिसकी वजह से कई पुराने साथी छूट गई हैं, वहीं नए नेताओं को मौका मिला है. वहीं जेडीएस समझौते के तहत तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

कांग्रेस ने 20 सीटों पर जीत का रखा लक्ष्य

कर्नाटक में कांग्रेस बीते लोकसभा चुनाव को भूलकर इस बार नए सिरे से तैयारी में जुटी है. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पार्टी नेतृत्व को भरोसा दिलाया है कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी कम से कम 20 लोकसभा सीट जीतेगी. कांग्रेस इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर भरोसा कर रही है. इस लिहाज से जिन-जिन सीटों पर पार्टी की जीत या हार का अंतर कम है, वहां ज्यादा मेहनत करने पर जोर दे रही है. कांग्रेस इसके लिए कुछ एक्स्ट्रा आर्डिनरी नहीं बल्कि स्थापित मानकों पर काम कर रही है.

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