किसानों के ‘दिल्ली कूच’ पर अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अपनी चुप्पी तोड़ दी,टिकैत ने दी केंद्र को खुली चेतावनी

किसानों के ‘दिल्ली कूच’ पर अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है. राकेश टिकैत ने नए किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए इसे जायज बताया है. उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन किसानों को दिक्कत दी तो उनके लिए भी दिल्ली दूर नहीं है.

कर्नाटक के बेंगलुरू में वह आगे बोले- अगर उनके (किसान) साथ कोई अन्याय हुआ और सरकार ने उनके लिए कोई दिक्कत पैदा की तब न वे किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और न दिल्ली हमसे ज्यादा दूर है.”

उन्होंने कहा कि किसान ठीक कर रहे हैं. जब उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा तो विरोध प्रदर्शन ही रास्ता बच जाता है. राकेश टिकैत ने किसानों के आंदोलन पर भी अपना रुख साफ किया है. उन्होंने कहा कि देश में किसानों के कई संगठन हैं. वे अपने- अपने तरीके से प्रदर्शन करते रहते हैं. अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखते हैं. इस बार भी किसान अपनी मांग को लेकर दिल्ली आ रहे हैं. उनकी बात सुनी जानी चाहिए. राकेश टिकैत 2020 के किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. गाजीपुर बॉर्डर पर उनके आंसुओं ने किसान आंदोलन की धार ही बदल दी थी. इसके बाद केंद्र सरकार को प्रस्तावित कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था.

किसानों के इस आंदोलन में फिलहाल भारतीय किसान यूनियन शामिल नहीं है. इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि, “ये मार्च को किसान यूनियन ने बुलाया है. इन संगठनों ने पिछले आंदोलन में खुद को दूर रखा था. इनमें से किसी संगठन ने हमसे संपर्क भी नहीं किया है. सब अपने तरीके से कार्यक्रम कर रहे हैं. सरकार जो कर रही है वो गलत कर रही है. बातचीत करके समस्या सुलझानी चाहिए. सरकार कील वगैरह का इस्तेमाल न करे.” उन्होंने आगे कहा, “16 फरवरी को हमारा ग्रामीण भारत बंद है. अगर इनको दिक्कत हुई तो हम भी एक्टिव हो जाएंगे. किसानों की समस्या है तो दिल्ली मार्च करेंगे. देश में बहुत से संगठन है. सीमाओं पर किसानों को न रोका जाए. इनको आने दो. सबको आने का अधिकार है.”

टिकैत ने कहा कि बिहार में मंडियां खत्म कर दी गई हैं, वहां किसानों का कोई मंच नहीं है. यही सरकार पहले थी और इसी विचारधारा की सरकार आज है. आज बिहार का किसान सबसे ज्यादा खराब स्थिति में है. बिहार में अब लेबर तैयार होती है और यही हाल पूरे देश का होना है.

टिकैत ने कहा, “देश में बड़ी पूंजीवादी कंपनियों ने एक संगठन बनाकर एक राजनीतिक पार्टी बना ली है और इस देश पर कब्जा कर लिया है. ऐसे में ये दिक्कतें आएंगी ही. दिल्ली के लिए कोई एक दिन पहले चल दिया तो कोई दो दिन बाद में आ जाएगा. अगर उनके (किसानों) साथ कोई अन्याय होगा और सरकार ने उनके लिए कोई दिक्कत पैदा की तो ना वो किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और ना दिल्ली हमसे ज्यादा दूर है. सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि इससे पहले जब दिल्ली में 13 महीने आंदोलन चला तो हमारी सरकार के साथ 12 दौर की बातचीत हुई. भारत सरकार से 22 जनवरी 2021 के बाद से हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है. 3 साल बाद में यह बातचीत शुरू हुई है. संयुक्त किसान मोर्चा अभी इस आंदोलन में शामिल नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा की 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद करने की कॉल है. ये भी किसान संगठन से ही हैं. ये दिल्ली के लिए चल दिए, हम इनके समर्थन में हैं. अगर इनके साथ कोई छेड़खानी होगी तो हम आएंगे.

राकेश टिकैत ने कहा, “जब देश का विपक्ष कमजोर होता है तो देश में तानाशाहों का जन्म होता है. सब राजनीतिक पार्टियां एक हैं. सत्ता वाले भी और विपक्ष वाले भी. ये अपनी सरकार बचाएं… जब देश का राजा ही ये कह रहा है कि हम 400 सीट जीतेंगे तो फिर देश में चुनाव की जरूरत कहां रह गई?… आप इसी चुनाव का नवीकरण कर लीजिए. आप क्यों देश को पागल बना रहे हैं… “

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