नगर पालिका में जनता के पैसों से खरीदे गए करोड़ों के वाहन और उपकरण कबाड़ में तब्दील

मुंगेली। मुंगेली नगर पालिका में जनता के पैसों से खरीदे गए करोड़ों के वाहन और उपकरण कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं. रखरखाव की अनदेखी, कर्मचारियों की भारी कमी और जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता ने कीमती और शहर की स्वच्छता के लिए खरीदे गए वाहनों को धूल फांकने पर मजबूर कर दिया है. यह बात हम नही बल्कि स्थानीय लोग ही कह रहे है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर विकास और सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए लाखों-करोड़ों की मशीनरी खरीदी गई थी — जिसमें जेसीबी, छोटी पोकलेन, सेवर सक्शन मशीन, ड्रेन क्लीनिंग मशीन, सफाई वाहन, कचरा वाहन, ट्रैक्टर-ट्राली समेत कई बेशकीमती उपकरण शामिल हैं.लेकिन आज ये सभी सीएमओ बंगले के बगल में धूल खा रहे हैं. कुछ वाहन तो ऐसे हैं जो उपयोग में लाने से पहले ही कंडम हो चुके हैं. न कोई मेंटेनेंस, न कोई जिम्मेदारी — हालत ये है कि अब इन्हें नीलामी कर कबाड़ के भाव बेचने की तैयारी है.

कमीशनखोरी की भेट चढ़ी विकास की गाड़ी!

नगर पालिका में व्याप्त कमीशन नीति के कारण योजनाएं शुरू होने से पहले ही दम तोड़ देती हैं. जनता की मेहनत की कमाई से खरीदी गई मशीनें बस खरीदी भर में सीमित रह जाती हैं, इस्तेमाल न के बराबर होता है. कांग्रेस और बीजेपी इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही हैं, लेकिन सच ये है कि दोनों ही इस बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं.

जिम्मेदारों ने खरीदी से झाड़ा पल्ला

नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला और सीएमओ आशीष तिवारी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि ये खरीदी उनके कार्यकाल की नहीं है, लेकिन फिर भी जो वाहन और उपकरण रिपेयर के लायक होंगे, उन्हें सुधार कर उपयोग में लाया जाएगा. बाकी को ऑनलाइन पोर्टल में डालकर नीलामी की जाएगी और उस राशि को निकाय कार्यों में खर्च किया जाएगा.

तो फिर सवाल — ऐसी खरीदी क्यों हुई?

अगर संसाधनों को मेंटेन करने की क्षमता नहीं, उपयोग करने के लिए कर्मचारी नहीं और योजना का सही प्लानिंग नहीं — तो फिर ऐसी महंगी खरीदी किस उद्देश्य से की गई? सवाल गंभीर है और सीधे तौर पर जनता के पैसे के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है.






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