मुंह फट..

"रवि शुक्ला".


कैसा जादू डाला रे.


बात कुछ दिनों पुरानी है हंसमुख पाण्डेय ने बाबा के बहाने कांग्रेस पार्टी के विभीषणों को इकट्ठा किया, हंसी ठिठोली हुई और शानदार भोज कराया। इन सब से इतर जो फोटो सोशल मीडिया पर सामने आई वो चौंकने वाली थी।


1. हंसमुख पाण्डेय को नापसंद कर कांग्रेस की सरकार में गड्ढा खोदने वालों की डायनिंग टेबल पर कुर्सी सजी और कंधों पर हाथ, मतलब साफ कि अभी भी वक्त है एक जुट हो जाओ, अच्छा मैसेज.


2. पंडित जी की हार का ताज पहने उनके चहेतो के चेहरा फिर एक बार सब के सामने, राजनीति में सब जायज है। मतलब साफ एकजुटता लेकिन चर्चा है कि और भी तो चेहरे हैं।


3. राजनीति के मैदान पर हंसमुख पाण्डेय ने सब को साथ लेकर ऐसा जादू किया। जिसकी सुगबुगाहट की खुशबु मिटने का नाम नहीं ले रही है लेकिन अचानक से ऐसा लगता है कई अरसे बाद जागे उनके अनुभव ने लोगों को बोलने का मौका दे दिया। पता नहीं क्यों पंडित जी की ईमानदारी और योग्यता से लबालब अनुभव लोगों की आंखों में खटकता रहता है और अब वही लोग बोल रहे है कि, मतलब आगे भी व्यवस्था इनके हाथों में और ऐसा न हो कि भैंस फिर से पानी में चली जाए। अभी समय है सिस्टम ठीक कर लीजिए।


4. कुल मिलाकर जो रस निकला उससे साबित हुआ कि पंडित जी माहिर व्यक्तित्व के है। उनकी माया वही जाने लेकिन रिजल्ट बेहतर रहा.. शाबास..


ये तस्वीर है,संस्कारों की पैदाइश और अनुभव की.


पब्लिक और खाकी के बीच ऐसा तालमेल देखने को कम ही मिलता है वो भी जब सामने जिले के पुलिस कप्तान खड़े हो। संस्कारों की पैदाइश के अनुभव को झलकाती यह तस्वीर कई मायनों से विशेष बन गई है। जो कोई भी इसे देख रहा है ठहर सा गया है। बुजुर्ग के प्रति सम्मान के साथ झुकाव और आमजनों के सामने थानेदार के कंधों पर शाबाशी की अर्थिंग, बड़प्पन ही तो कहेंगे न इसे.



एसएसपी होने के नाते डांट डपट लगाना अपनी जगह है। टीआई भी गदगद साहब ने शाबाशी का हाथ जो रख दिया लेकिन ज्यादा फूले नहीं समाना है जरा सी चूक और कप्तान की अर्थिंग में अचानक 440 वाट का करेंट भी आ सकता है लेकिन हम तो कहेंगे वाह कप्तान साहब.



कृष्ण और राम की जोड़ी.


श्री कृष्ण थानेदार और प्रभु श्री राम के नाम स्वरूप एक एसआई शहर का थाना चला रहे है। दोनों की खूबी वाह वाह के काबिल है।


टीआई.

ऐसे की खामोश विभाग में सीधे, सादे की छवि मगर थानेदारी बिल्कुल जीरो,कोई आए कोई जाएं फर्क नहीं पड़ता जैसे अंतरिक्ष यान से उतरे फिल्म कोई मिल गया के जादू के किरदार जैसा। बड़े साहब ने सादगी देख कर ही अपने ऑफिस से थाने का चार्ज दिया ताकि कुछ अच्छा कर दिखाएगा,कुछ अच्छा तो हुआ नहीं उल्टा बड़े साहब का रिएक्शन झेलना पड़ गया और विशेषता ऐसी कि इस खामोशी थानेदारी के बीच कुछ ऐसे ऐसे काम परवान चढ़ कि क्या कहने.


एसआई.

काबिलेतारिफ है कि सिपाही से कंधों पर दो स्टार तक सफर तय किया। थाना इंचार्ज की खामोशी या कहे रजामंदी से राम-राम जपते थाने में आए मामले मुकदमे का नारायण, नारायण. एक तरह से कहा जाए तो पूरा थाना राम भरोसे ही चल रहा है। सील,साइन और ठप्पा थानेदार का और आम के आम गुठलियों के दाम जप राम के मत्थे.


जिला प्रशासन की श्रद्धा.


राजस्व विभाग में बिना चढ़ोतरी कोई काम नहीं होता यह तो जग जाहिर है। मोटा माल दो और सपाट से काम पूरा अब ऐसे में जिला प्रशासन की एक श्रद्धा है। जो काफी तेज तर्रार और लाग लपेट से दूर रहती है। काम के बदले दाम को लेकर महिला अफसर के स्टाइल को लेकर कुछ कहना मुनासिब तो नहीं मगर काम में दम दिखता है।


जहां भी पोस्टिंग रही बेहतर प्रदर्शन, इसलिए तो जिला प्रशासन के पहले और अब के हुजूर ने बेदाग का स्टीफिकेट दिया और तैनाती बनाए रखी। साफ साफ दो टूक बात, रोजाना जिला मुख्यालय में प्रेजेंटेशन और करीब बीस किलोमीटर अपने ऑफिस की ओर रवाना। कोर्ट में मामलों की सुनवाई फिर चैम्बर में बैठ फरियादियों कि समस्याओं का निपटारा। नौकरी में आने के बाद ये सब करना कोई नहीं बात नहीं है लेकिन जिला प्रशासन की इस श्रद्धा का काम के वक्त अबला से सबला वाला

एक अलग ही किरदार है।






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