एक और कंपनी जांच एजेंसी के निशाने पर, डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए मशीन सप्लाई में भी गड़बड़ी !

रायपुर. मेडिकल दवा, उपकरण खरीदी में भ्रष्टाचार और गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य जैसे आरोपों से घिरे छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. दवा खरीदी में घोटाले के आरोप में फंसे मोक्षित कार्पोरेशन की तरह एक और कंपनी की गड़बड़ी की शिकायतें आम हो चुकी हैं, जिस पर डायग्नोस्टिक सेंटर में मशीन सप्लाई के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर टेंडर हासिल करने का आरोप लग रहा है. इसमें सीजीएमएससी के अधिकारियों की मिलीभगत भी मानी जा रही है. यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से सीजीएमएससी के अधिकारी व कर्मचारी चिंता में हैं.



इस मामले से जुड़े टेंडर में दुबई की कंपनी का भी हवाला दिया गया है, लेकिन ऐसी कोई कंपनी दुबई में है ही नहीं. यह सब कुछ ई टेंडर के रेट कान्देरक्ट से पता चलता है, जो गत 16 मार्च 2023 को सीजीएमएससी से एप्रूव हुआ है. यह मामला भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय का है. जिसकी वर्तमान सरकार ने कोई जांच नहीं कराई है.गड़बड़ी की आशंका को लेकर प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि फर्जी कंपनी बनाकर छत्तीसगढ़ में एक डायग्नोस्टिक सेंटर चलाने वाले ने सीजीएमएससी में टेंडर भरा. जिसमें कंपनी में जीएसटी नंबर, रजिस्ट्रेशन से लेकर सप्लाई के नाम व पते सब में गड़बड़ी पाई गई है. जो कंपनी मुंबई की बताई जा रही है, दरअसल उसमें राज्य के एक जिले की डायग्नोस्टिक सेंटर का पता है. राजधानी में सर्विस सेंटर का पता भी गलत होने की जानकारी मिली है. इतना ही नहीं टेंडर प्राप्त करने के लिए दो अलग-अलग जीएसटी नंबर दिए जाने का खुलासा हुआ है. जिस कंपनी का 2022 में रजिस्ट्रेशन हुआ है, उस कंपनी ने 2019 से टर्न ओवर टेंडर में दिखाया है, जो शंका को गहरा करता है.


टेंडर को लेकर सवाल उठाए जा रहे

इसी तरह टेंडर को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि कंपनी पुरानी है, तो दस्तावेज अलग-अलग और नए रजिस्ट्रेशन को क्यों लगाया गया है. छत्तीसगढ़ के जिस जिले का नाम आ रहा है, उसे लेकर बताया गया कि मेडिकल मटेरियल बेचने की अनुमति ही नहीं है. इसके अलावा ड्रग लाइसेंस 2022 में मिला है, तो बिना लाइसेंस महाराष्ट्र में सप्लाई कैसे कर दिया? हालांकि महाराष्ट्र के अस्पताल ने भी इस कंपनी से सप्लाई मिलने से इनकार किया है.





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