(किशोर सिंह)
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी जब तक इस संसार में रहे, प्रदेश की राजनीति के केंद्र रहे . छत्तीसगढ़ की राजनीति उनके इर्द-गिर्द ही घूमती रही. उनकी राजनीतिक अंदाज का धुर विरोधी भी लोहा मानते थे. उनके संसार से चले जाने के बाद भी पूरे प्रदेश की राजनीति उनके कार्य और उनकी दूरदर्शिता के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। छत्तीसगढ़ के राजनीति में कुछ नया नहीं हुआ और ना ही राजनीतिज्ञ कुछ नया कर सके। उनकी दूरदर्शिता के सामने आज भी सब कुछ बौना नजर आता है।
सपनों के सौदागर अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ के किसानों की समृद्धि के लिए उचित मूल्य पर धान खरीदी का सपना देखा और, उसे पूरा किया, और आज भी छत्तीसगढ़ में राज करने के लिए अजीत जोगी के इसी किसानों की समृद्धि के रास्ते से ही गुजरना पड़ता है।
बात उन दिनों की है जब अजीत जोगी प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी खुले बाजार में होती थी. यह बात अजीत जोगी ने अपने बचपन में महसूस की थी, कि किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर , राइस मिलर गांव में जाकर आधे से भी कम कीमत पर किसानों से धान खरीद लेते हैं. इसे वह एक तरह से किसानों का शोषण ही मानते थे, उन्होंने किसानों के इस शोषण को रोकने और व्यवस्था को बदलने का निर्णय लिया. यह तय किया, कि बिचौलियों को हटाकर छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को उचित मूल्य देकर स्वयं धान खरीदी करेगी. उन्होंने अपनी प्रशासनिक कुशलता से अधिकारियों से यह अनुमान पूछा कि उचित मूल्य में धान खरीदी से पहले साल में कम से कम कितने रुपए की जरूरत होगी, जानकारी मिली कि लगभग 1,000 करोड रुपए के बजट की व्यवस्था करनी होगी. नया राज्य और नई सरकार होने के कारण इतना बड़ा बजट संभव नहीं था, लिहाजा अजीत जोगी ने अपने सभी विधायकों और मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से निवेदन कर यह राशि स्वीकृत कराने का निर्णय लिया।
जब उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में 52 लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने का अनुरोध किया, तब वह अस्वीकार कर दिया गया. सिर्फ पांच लोगों को ही प्रधानमंत्री से मिलने की अनुमति दी गई, लेकिन जोगी नहीं माने, उन्होंने कांग्रेस कार्यालय 24 अकबर रोड से प्रधानमंत्री निवास तक 7 रेड कोर्स रोड तक पैदल जाने का निर्णय लिया और अटल जी के सामने अपनी मांग रखने के लिए तैयारी की. तेज तर्रार मुख्यमंत्री अजीत जोगी जैसे ही अपने मंत्रिमंडल और विधायको समेत जुलूस के रूप में निकले, वैसे ही पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने सभी को रोक लिया. प्रतिक्रिया के रूप में वह सभी सड़क पर धरना देने बैठ गए. सुरक्षा बलों ने जोगी समेत पूरे मंत्रिमंडल और विधायकों को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया. एक बस में सभी को बैठाकर तुगलक रोड पुलिस थाना में हिरासत में रखा गया. मुख्यमंत्री अजीत जोगी सहित पूरा मंत्रिमंडल गिरफ्तार की खबर से देश भर में हड़कंप मच गया, और क्योंकि मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री गिरफ्तार कर लिए गए थे.इसलिए एक तरह का संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई, कि छत्तीसगढ़ में सरकार चलाने वाला अब कोई नहीं है. पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी बृजेश मिश्र अटल बिहारी वाजपेई के प्रमुख सचिव थे और अजीत जोगी के पूर्व परिचित भी. उन्होंने श्री जोगी से बात की और उन्होंने प्रधानमंत्री जी से सभी के मिलने के लिए चर्चा की. बृजेश मिश्र की पहल पर सभी विधायकों और मंत्रियों के साथ मुलाकात की बात पक्की हो गई. इसके बाद अजीत जोगी विधायक को और मंत्रिमंडल समेत प्रधानमंत्री निवास पहुंच गए।
श्री जोगी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को विस्तार से पूरी धान खरीदी की प्रक्रिया और बिचौलियों के बारे में जानकारी दी. अटल बिहारी वाजपेई ने अजीत जोगी की बात को पूरी गंभीरता से सुना और अंत में एक छोटा सा जवाब दिया, कि सरकार व्यापार करने पर विश्वास नहीं करती, यह मामला किसानों और व्यापारियों के बीच का है. जिस कीमत पर किसान बेचना चाहे और जिस कीमत पर व्यापारी खरीदना चाहे, उसे कीमत पर क्रय-विक्रय किया जा सकता है। केंद्र या राज्य सरकार को किसान और व्यापारी के बीच में नहीं आना चाहिए. अटल जी ने बड़ी ही चतुराई से जलेबी और समोसा खिलाकर जोगी सरकार को विदा कर दिया, लेकिन जोगी नहीं माने उन्होंने सभी विधायकों और मंत्रियों को रायपुर वापस जाने का कहा और मुंबई रिजर्व बैंक से चर्चा करने के लिए रवाना हो गए. उन्होंने तत्काल छत्तीसगढ़ सरकार के लिए 1,000 करोड रुपए का कर्ज स्वीकृत कराया. और पहली बार किसानों से धान खरीदी की.तब से लेकर आज तक छत्तीसगढ़ के किसानों का धान शासन द्वारा ही खरीदा जा रहा है. खास बात यह है , कि धान खरीदी का समर्थन मूल्य ही सत्ता में काबिज होने का प्रमुख मुद्दा है, सपनों के सौदागर ने किसानों के समृद्धि के लिए सपना देखा और उसे पूरा भी किया. किसान ही समर्थन मूल्य से यह तय कर रहे हैं, कि छत्तीसगढ़ की सत्ता पर कौन काबिज होगा. बीते साल 2022-23 में कुल 107.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी. पूरे प्रदेश से 25 लाख किसानों ने धान बेचा. छत्तीसगढ़ सरकार के आंकड़ों के अनुसार किसानों से खरीफ सीजन 2024 में कुल 144.92 लाख टन धान की हुई रिकॉर्ड खरीद हुई है. नवगठित विष्णुदेव साय सरकार ने पीएम नरेन्द्र मोदी की गारंटी के तौर पर किसानों से उनके स्टॉक की पूरी धान को 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का वादा किया था. इसमें 2185 रुपये MSP के बाद 915 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देना शामिल है. सरकार का दावा है कि इस घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर अब तक की रिकार्ड खरीद हुई है.