पेपर डिस्पोजल कप बनाने वाले राठी जी की बेटी ने बिना कोचिंग के पास की UPSC, CG में आया 3 रैंक… OP चौधरी से ऐसे हुई प्रभावित

UPSC 2023 के नतीजे आज अखबारों और मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है. लेकिन इन सुर्खियों में पेपर डिस्पोजल कप बनाने वाले राठी जी की बेटी का जिक्र नहीं है. लेकिन आज हम आपको राठी जी की बेटी प्राची राठी के संघर्ष की कहानी बता रहे है. इससे पहले आपको ये बता दें कि प्राची ने UPSC 2023 में ऑल इंडिया में 443 वां रैंक हासिल किया है और उनकी जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में उनका तीसरा रैंक है. उनके पिता प्रवीण राठी पिछले तीन वर्षों से पेपर डिस्पोजल कप और ग्लास मैन्यूफैक्चरिंग का काम करते है. इससे पहले वे चाय पत्ती बेचने का काम करते थे.

खास बातचीत में प्राची ने बताया कि उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में UPSC 2023 की ये परीक्षा क्रैक की और अपने पहले अटेम्प्ट में वे प्रिलिम्स तक, इसके बाद सैकेंड अटेम्प्ट में इंटरव्यू तक पहुंची थी. लेकिन 17 नंबर से चूक गई. वे कहती है कि मैंने जो भी कमी थी, उसे दूर करते हुए तैयारी पर फोकस किया और आज उन्होंने यूपीएससी क्रैक करने में सफलता हासिल की. हालांकि वे अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है और अगला अटेम्प्ट भी देने की तैयारी कर रही है.   

2017 के बाद नहीं देखी मूवी, न होटल में खाना खाया

प्राची के पिता प्रवीण राठी कहते है कि प्राची ने 2017 के बाद से अब तक घर में रहकर केवल पढ़ाई ही की है. वे न तो अपने दोस्तों के साथ मूवी जाती है और न होटल में खाना खाने जाती है. अंतिम बार होटल में कब खाना खाया था ये पूछे जाने पर प्राची ने बताया कि इंटरव्यू देने जब दिल्ली गई थी 2017 के बाद तभी होटल में खाना खाया था.

Podcast सुनना है हॉबी, इंटरव्यू में बोलकर सुनाया भी

प्राची को Podcast सुनना पसंद है. अपनी इस हॉबी को उन्होंने यूपीएससी से जोड़कर अपना नॉलेज गेन करने का काम किया. वे Issue Based Informative Podcast सुनना पसंद करती है. जिसमें देश-विदेश के विभिन्न मुद्दो के बारे में उन्हें जानकारी मिलती है. यूपीएससी के फार्म में भी उन्होंने अपनी हॉबी के कॉलम में Podcast सुनने का जिक्र किया था. यही कारण है कि इंटरव्यू के दौरान उन्हें ये पूछा गया कि यदि उनको मौका मिलेगा तो Podcast के माध्यम से वे कैसे काम करेंगी ? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि वे जनभागीदारी के माध्यम से लोगों को ये बताने की कोशिश करेंगी कि एक नागरिक कैसे पॉलिसी मेकिंग और पॉलिसी इम्पलीमेंटेशन के लिए अपना योगदान दे सकता है.

कलेक्टर रहते ओपी चौधरी से हुई थी प्रभावित

जब उनसे ये पूछ गया कि उन्होंने यूपीएससी में आने का फैसला क्यों किया ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कॉलेज में उनके कुछ सीनियर इसकी तैयारी कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें भी ये लगा कि उन्हें भी सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी चाहिए.

वे कहती है कि एनआईटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ऐसा कोई वाक्य हुआ था, जिससे तमाम पैरेंट्स परेशान थे. तमाम पैरेंट्स अपनी समस्या लेकर तत्कालीन रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी के पास पहुंचे थे और उनके एक आदेश ने वहां पहुंचे तमाम पैरेंट्स की समस्या का समाधान कर दिया. जिसके बाद वे उनसे प्रभावित हुई और उन्हें उस पद की जिम्मेदारी और गरिमा का अहसास हुआ, कि वे सिविल सर्विसेज में जाकर कैसे लोगों की मदद कर सकती है.

 वे कहती है कि उन्होंने मंत्री ओपी चौधरी के कई मोटिवेशनल वीडियो देखे है, जिससे उन्हें काफी मदद मिली. इतना ही नहीं यूपीएससी में इंटरव्यू देने से पहले प्रदेश के करीब 30-35 बच्चों को ओपी चौधरी ने अपने अनुभव साझा करते हुए इंटरव्यू फेस करने को लेकर टिप्स दिए थे, जो उनके लिए मददगार साबित हुए.

Railway’s में दे सकती है अपनी सेवाएं

प्राची का ऐसा अनुमान है कि उन्हें Railway’s  में अपनी सेवाएं देने का मौका मिल सकता है. हालांकि ये अभी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कौन से डिपार्टमेंट में पोस्टिंग मिलेगी. लेकिन वे कहती है कि जहां उन्हें पोस्टिंग मिलेगी वे पूरी इमानदारी से अपना काम कर परिवार के साथ-साथ प्रदेश का नाम रौशन करेने की पूरी कोशिश करेगी.

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