रायपुर. छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग में जो कोई भी आता है कुछ ना कुछ मांगने ही आता है। लेकिन इससे परे जनसंपर्क विभाग के मुखिया डॉ रवि मित्तल जरा कुछ हटके ही है। सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित और खासकर जशपुर के लोगों से उनका एक अलग ही लगाव है। इतने दिनों के बाद भी डॉक्टर मित्तल जशपुरिया लोगों को चेहरे और नाम से जानते हैं। इसका एक उदाहरण बीते दिनों देखने को मिला जब डॉ मित्तल ने पद्मश्री जागेश्वर यादव को मिलने बुलाया और उनका हाल चाल जाना।
वैसे तो डॉ रवि मित्तल कोई आम नाम नहीं है। यंग आईएएस अफसर और फिलहाल छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग (सीपीआर) की कमान संभाले हुए हैं। इनकी सब से खास बात यह है कि जहा भी काम किया खासकर जशपुर जिला अब प्रदेश के मुखिया विष्णु देव साय का गृह जिला वहां भी अपने नाम का प्यार जशपुर की वादियों में घोल आए हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बीते दिनों देखने को मिला शायद कम लोगों ही मालूम होगा कि ऑफिस टाइमिंग के बाद भी डॉ मित्तल नया रायपुर स्थित संवाद बिल्डिंग में अपने चेंबर में पाए जाते हैं। देर शाम कभी कभी रात तक सुशासन सरकार की योजनाओं को मूर्त रूप देने मातहतों के साथ भिड़े रहते हैं। खैर मुद्दे की बात यह है कि आज भी डॉ मित्तल पुराने लोगों को भूले नहीं हैं उन्होंने जशपुर निवासी पद्मश्री जागेश्वर यादव को अपने पास बुलाया और काफी देर तक उनसे चर्चा कर हाल चाल जाना।
किसी ने भी नहीं पहचाना,फिर.
सुन कर बड़ा ताज्जुब ही लगता है लेकिन ये सच है कि जिस वक्त संवाद बिल्डिंग में पद्मश्री जागेश्वर यादव की इंट्री हुई उन्हें किसी ने नहीं पहचाना कोई फॉर्मल तो कोई सूट बूट, हाथों में महंगे फोन, लैपटॉप से लैस और तरह तरह के विजिटिंग कार्ड वाले भी डॉ मित्तल से मिलने लाइन लगा कर बैठे थे। इन सब पर 'OMG NEWS NETWORK' की नजर थी। जैसे पद्मश्री जागेश्वर यादव आए सब उन्हें देख भौचक रह गए। जिसने भी सुना कि वो डॉ मित्तल से मिलने आए है तो सब के चेहरे पर एक अलग सी फिलिंग नजर आई। रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के एम फिल, पीएचडी के स्टूडेंट लोकेश पटेल के साथ आए श्री यादव की मुलाकात वाली पर्ची को स्टूडेंट ने बनाया और पर्ची डॉ मित्तल के पास पहुंची। तपाक से घंटी बजी और बाकी लोगों को साइड कर श्री यादव को भीतर भेजने का फरमान जारी हुआ। उस समय फॉर्मल और सूट बूट वालों को चेहरे का जो रंग उड़ा वो देखने लायक था। बेहद ही सादगी से एक दूसरे से भेट मुलाकात हुई और हंसी ठिठोली के साथ
जनसंपर्क विभाग कमिश्नर डॉ रवि मित्तल ने पद्मश्री जागेश्वर यादव से उनका और जशपुर वालों का हाल चाल जाना।
एक नजर श्री यादव के जीवन परिचय पर.
जशपुर जिले के रहने वाले समाजसेवी जागेश्वर यादव को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से समानित किया। राष्ट्रपति भवन दिल्ली में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह में पद्मश्री से समानित किया है। जागेश्वर यादव का नाम 2024 के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हुआ था। जिले के बिरहोर आदिवासियों के उत्थान हेतु बेहतर कार्य के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाड़ियों व जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की है। साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी।
जागेश्वर यादव को मिला पद्मश्री, आदिवासियों के लिए किया ये काम, लोग कहते हैं ‘बिरहोर के भाई’
राष्ट्रपति भवन दिल्ली में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह में पद्मश्री से समानित किया है। जागेश्वर यादव का नाम 2024 के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हुआ था..
बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाड़ियों व जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की है। साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी।
इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली। जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था। बचपन से ही इन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी। उस समय घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे। जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया।
इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया। उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा। इसके बाद उन्हें शिक्षा की अलख जगाईए और स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। जागेश्वर यादव, बिरहोर के भाई, के नाम से चर्चित हैं।



