मुंह फट

रवि शुक्ला’

पुलिस की खर्रा-बोनी .

देश में यूपी जैसे बड़े राज्य का चुनाव आसान बात नहीं है और चुनाव चाहे पंचायत का हो या सांसद का खर्चा तो मांगता ही है नेतागिरी में खर्चा करता कौन है, यह सबको पता है।

माल आएगा तो कहां से या पुलिस या प्रशासन से भई यूपी के चुनाव की जिम्मेदारी है। तो कुछ करना ही पड़ेगा,नतीजा पहली ही खेप में पुलिस डिपार्टमेंट की खर्रा बोनी होने की गई। जिसने जइसे लेईस देइस तइसन पाइस आशीष, कुल जमा यह है जिसने जैसा माल गलाया वैसी उसने पोस्टिंग पाई। अगली पारी प्रशासन के कारिंदों की है। जय हो यूपी चुनाव..

बेढंगी विदाई.

एक समय था जब बिलासपुर जिला सियासी रूप से काफी ताकतवर था। पहले सीएम फिर वित्त मंत्री उसके बाद दो-चार मंत्री यहां से हुआ करते थे। कांग्रेस राज ने इस जिले को अनाथ कर दिया है जिले का कोई माईबाप नहीं रहा भले ही बीच बीच में आकर दाऊ बोल देते हैं कि मैं देखरेख करूंगा।

मगर जमीनी हकीकत यहां आईने जैसी है शायद यही वजह की यहां ईमानदार अफसर टिक नहीं पाते,बड़ा जिला है कमाऊ पूत चाहिए बेचारे झा साहब को ही देख लो कप्तानी संभाले जुम्मा जुम्मा 4-6 माह ही हुआ था रवाना कर दिए गए। किसका क्या बिगाड़ा था उन्होंने जुआ-सट्टा और अवैध कारोबार के साथ क्राइम कंट्रोल कर के उन्होंने पुलिस की ईमानदार छवि बनाने की कोशिश की थी पर आज के समय में यह किस को रास आता है। एसएसपी जैसे अफसर को छोटा सा जिला थमा दिया गया। सब दाऊ राज है जैसी बहे बयार.

जोगी नो थैक्यू.

सियासत में समीकरण बड़ी चीज होती है मिल गया तो वारे न्यारे बिगड़ गए तो सद्दे उठी जाए और शायद यही वजह है की जोगी जी के नहीं रहने के बाद उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय नहीं हो पा रहा है। कहते हैं मैडम जोगी कि इस बारे में कांग्रेस आलाकमान से बात भी हो चुकी,आलाकमान ने कका को निर्देश भी दिया था।

लेकिन मैडम जोगी का कांग्रेस में विलय को लेकर जुमले भी कम नहीं है इधर से बोला जाता है कि, एक बार मिली थी मगर कुछ बताई नहीं,एक बार बोला था मगर कोई रिप्लाई नहीं आया, लगता नहीं कि वह इंटरेस्टेड है, वह जब चाहे विलय कर दे। मगर करें तो कैसे आलाकमान को जवाब ऊपर जवाब देकर मामला टाला जा रहा है। सबको पता है कि आलाकमान से डायरेक्ट पहुंच होना प्रदेश की सियासत के लिए कितना बड़ा खतरा कहीं मैडम जोगी कांग्रेस में आ गई और बाबा से टाइअप हो गया तो समीकरण बिगड़ते देर नहीं लगेगी और तुरंत हिसाब किताब हो जाएगा। इसलिए जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय होना ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है।

राजा भोज.

राज्य का कोलगढ़ जिले में चोरी करने वाले चंगू- मंगूओ के बीच राजा भोज फस गए हैं। काम काज ठीक है पैसा कौड़ी का लेना देना भी नहीं है तो जायज सी बात है कि ऐसे अफसरों को चोर उचक्के पसंद नहीं करते।

बहुत कोशिश की पुलिस कप्तान सेट हो जाए। लालच दिया सियासी धमकी चमकी मिली, कई तरह के दांवपेच भी अपनाए गए लेकिन राजा भोज नहीं टूटे अब आखरी हथियार चलाया जा रहा है और वो है बदनाम करने की साजिश, गैंगवार कर पुलिस को पचड़े में डाला जा रहा है कैसे भी हो पुलिस की बदनामी हो और राजा भोज पुलिस कप्तानी छोड़ कर जाएं ‘मोराल‘ ऐसे समय में पुलिस अफसरों को ऐसी परिस्थितियों में गिरोहों के खिलाफ सख्त होना चाहिए।

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