अर्थराइटिस आज लाईलाज बीमारी नहीं रह गई है, समय रहते यदि इस बीमारी को जान लिया जाये तो इसका उपचार संभव है. मरीज भी आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है मेडिशाईन अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील शर्मा का मानना है कि अर्थराइटिस से लाेगों को डरने की जरूरत नहीं है बल्कि इसे समझने की जरूरत है. इसी के साथ उनका ये भी मानना है कि आज जोड़ प्रत्यरोपण से डरने की आवश्यकता नहीं है. जोड़ों के प्रत्यारोपण से मरीज को नई खुशहाल जिंदगी मिलती है और वह सामान्य मनुष्य की तरह ही अपना कामकाज कर सकता है. छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम कम्प्यूटर नेविगेशन द्वारा घुटने, कुल्हो और कंधो का ऑपरेशन किया जाता है. मेडिशाईन हॉस्पिटल में छत्तीसगढ़ में पहली बार एवीएन द्वारा कुल्हे बचाव और इलाज केवल डॉ. सुशील शर्मा द्वारा किया जाता है.
आर्थराइटिस के क्या लक्षण हैं, इसकी पहचान कैसे करें?
गठिया के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग प्रकार के हो सकते हैं. कुछ लोगों में यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है. जबकि कुछ को अचानक से ही दिक्कतें होनी शुरू हो जाती हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि गठिया में कुछ लक्षणों पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है, अगर आपमें कुछ समय से इस तरह की समस्याएं बनी हुई हैं तो इस बारे में किसी डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए.
- जोड़ों में दर्द की समस्या बने रहना.
- जोड़ों में कठोरता, पैरों को हिलाने में भी कठिनाई महसूस होना.
- अर्थराइटिस में जो दर्द होता है, उसमें बहुत ज्यादा सूजन नहीं होती और जो दर्द होता है, जोड़ो के ज्यादा न चलने फिरने के बाद होता है, शरीर के दोनों हिस्से में लम्बे आराम करने के बाद, ज्यादा दर्द होता है.जोड़ों में सूजन और इसके आसपास लालिमा की समस्या.थोड़ी दूर चलने या सीढ़ियां चढ़ने तक में कठिनाई होना.सुबह उठने पर, डेस्क पर बैठे रहने के बाद उठने या लंबे समय तक कार में बैठने के बाद इस तरह के लक्षण ज्यादा महसूस हो सकते हैं.यदि जोड़ों को हिलाना या कुर्सी से उठाना कठिन या दर्दकारक महसूस हो रहा है, तो यह गठिया का संभावित संकेत हो सकता है.
ओस्टियो अर्थराइटिस
45 से ज्यादा आयु वाले पुरूष और महिलाओं को ओस्टियो अर्थराइटिस हो सकता है. ये निरंतर जोड़ों में द्रव्य पदार्थ की कमी से होता है. द्रव्य पदार्थ के कम होने से जोड़ों में दर्द होने लगता है. जोड़ों की हडि्डयों के आपस में रगड़ खाने से यह ऊबड़-खाबड़ हो जाती है. जिसके कारण जोड़ पर अतिरिक्त भार आने के साथ ही ज्यादा कार्य भी करना पड़ता है और इसके कारण हडि्डयों तथा काटीलेज को नुकसान पहुंचता है.
रिह्मूमेटॉइड अर्थराइटिस
रिह्मूमेटॉइड अर्थराइटिस होने की स्थिति में जोड़ों में हमेशा दर्द बने रहता है. यह ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें जोड़ की कोशिकाएं शरीर की ही रोग प्रतिरोधक तत्वों द्वारा नुकसान पहुंचाने के कारण नष्ट होने लगती है, मनुष्य के शरीर में प्रतिरोधन प्रणाली साइनोविया अथवा जोड़ों के अस्तर पर प्रभाव डालती है इसमें प्रदाह आ जाता है. ऐसी स्थिति में मरीज के जोड़ो में दर्द बने रहने के साथ उसमें अकड़न, सूजन आ जाती है, इस प्रक्रिया में सिनोवियम मोटा और खूरदरा हो जाता है. जिसके कारण विरूपता तक आ जाती है. रिह्मूमेटॉइड अर्थराइटिस का असर सबसे पहले मनुष्य के हाथ की कलाई और हाथ पर होता है दर्द बने होने के कारण मनुष्य काफी समय तक बीमार रहता है. इस स्थिति में उसे बुखार भी आता है या जोड़ गर्म होते है एक हाथ और कलाई पर असर होने के बाद दूसरा हाथ भी प्रभावित होने लगता है. एक बात यह भी देखने में आती है कि रिह्मूमेटॉइड अर्थराइटिस से पीड़ित कुछ मरीजों में इसके लक्षण हमेशा बने रहते हैं तो दूसरी ओर कुछ मरीजों में यह आते और जाते रहते है, रिह्मूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण 50 से अधिक आयु वर्ग वाले पुरूष व महिलाओं मे पाये गये हैं.
अंकीलोजिंग स्पोन्डीलायटिस
डॉ. सुशील का कहना है कि अंकीलोजिंग स्पोन्डीलायटिस अर्थराइटिस का वह रूप है जो पहले रीढ़ की हड्डी तथा हाथों और पैरों के जोड़ों पर आक्रमण करता है, इससे अकड़न आ जाती है, प्रदाह होने से अपंगता भी आ सकती है, इस बीमारी का पता काफी देर से चलता है क्योकि इसका संबंध पीठ से होता है गर्दन दर्द में भी यही बात लागू होती है. दवाई और डॉक्टरों के द्वारा बताये गये व्यायाम से इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है.
गाउट
गाउट भी अर्थराइटिस का एक रूप है, मनुष्य में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाने पर पैरों के अंगुठे के जोड़ में दर्द होने लगता है. उसके आस-पास सुई जैसे लाल दाने होने लगते है अर्थराइटिस के लक्षण भले ही अलग-अलग हो लेकिन अर्थराइटिस बीमारी एक ही है, जांच के दौरान इस बात का पता लगाना होता है कि पीड़ित व्यक्ति में अर्थराइटिस के कौन से लक्षण है. ताकि उसका सही उपचार हो सके अर्थराटिस का दवाईयों से उपचार तो संभव है साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा दी व्यायाम की सलाह इस उपचार में काफी सहायक होता है.डॉ. शर्मा ने कहा कि जोड़ प्रत्यारोपण सफलतम आपरेशन है. और यह आपरेशन कम्प्यूटर नेबिगेशन मशीन की मदद से किया जाता है. जोड़ो के ऑपरेशन को लेकर लोगों के मन में शांका बने रहती है. लेकिन शंका जैसी कई बात नहीं और न ही घबराने की. ऐसी परिस्थिति में जोड़ों का प्रत्यारोपण मरीज की सेहत के लिये अच्छा होता है, ऑपरेशन के कुछ दिनो बाद पहले की तरह से सामान्य रूप से कामकाज कर सकता है, जोड़ों के प्रत्यारोपण से किसी भी प्रकार नुकसान नहीं है इससे मरीज को एक नई जिंदगी मिलती है.