वीडियो- गुरु जी हरिश्चंद्र की पाठशाला जैसा नाम उसके विपरीत शिक्षा के मंदिर में काम, पढ़ाई लिखाई ढप और नाबालिग को बनाया रसोइया.

बिलासपुर/कोटा. प्रदेश सरकार ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने नई नई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का दावा करती है सरकार के इस दावे के असर भी देखने को मिल रहा है। कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत कोंनचरा के पूर्व माध्यमिक शाला में स्कूल के मंदिर में सुबह का नजारा कुछ और ही नजर आता है,यहां स्कूल के समय में प्रधान पाठक मार्केटिंग करते है तो वही शाला त्यागी के बच्चे को शिक्षा से जोड़ने की बजाय नाबालिग से दाल भात के लिए चूल्हा जलवाया जा रहा है। यह कोई नई बात नही है हर रोज ऐसा ही होता है। इस डर से परे की गांव के भीतर संचालित स्कूल में कौन झांकने आएगा और हो भी यही रहा है कोई अधिकारी झांकने जाता नही और प्रधान पाठक संग उनके मातहत अपनी मनमानी से शिक्षा के मंदिर की आड़ में अपना कामकाज कर रहे है।

(पढ़ाई छोड़ चुके नाबालिग को शिक्षा से जोड़ने की बजाए प्रधान पाठक ने उसे चूल्हा चौका में लगा दिया)

कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत कोंनचरा के पूर्व माध्यमिक शाला में चल रही मनमानी सामने आई है। सरकार के द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नए-नए उपाय किए जा रहे हैं वही पूर्व माध्यमिक शाला कोंचरा के प्रधान पाठक हरिश्चंद्र सिंगौर के द्वारा सरकारी योजनाओं का जमकर फायदा उठा रहे हैं। गांव के भीतर का यह नजारा देखने लायक है। सरकार एवं शिक्षा विभाग की बंद आँखे भी शायद पूरा माजरा देख खुल जाए। शाला त्यागी के बच्चे को बेहतर शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार करोड़ो का फंड देती है।

लेकिन प्रधान पाठक सिंगौर के द्वारा शाला त्यागी बच्चे को शिक्षा से जोड़ने तो दूर उन्हें रोजगार उपलब्ध करा दिया गया रोजगार भी ऐसा की माध्यमिक शाला में रसोईया का काम दे दिया गया। प्रधान पाठक पर आरोप लग रहा है कि जिस बच्चे से रसोइए का काम कराया जा रहा है वह बच्चा नाबालिक है।

शिक्षा विभाग का नियम.

( स्कूल टाइमिंग के समय तालाबंदी)

गर्मी को देखते हुए सरकार ने सुबह 7:30 से 11:30 बजे स्कूल खोलने का फरमान निकाला है लेकिन प्रधान पाठक सिंगौर 9:00 बजे प्रधान पाठक स्कूल पहुंचते हैं पता चला कि प्रधान पाठक स्टेशनरी सामान खरीदने के लिए गए हैं। शिक्षा विभाग ने 7:30 से 11:30 स्कूल लगाने का समय तय किया है। आरोप है कि जब छुट्टी होती है तो प्रधान पाठक आराम फरमाते है,और स्कूल लगने के समय स्टेशनरी खरीदने जाते हैं।

पार्ट टू प्राथमिक शाला.

ऐसा ही नजारा माध्यमिक शाला के बगल में संचालित प्राथमिक शाला का है। सुबह के 8:00 बजे तक स्कूल में एक भी शिक्षक मौजूद नहीं थे 8:10 में एक शिक्षक अपनी बाइक से स्कूल परिसर में दाखिल होते हैं वही दूसरे शिक्षक के बारे में पता किया जाता है तो वह भी आ जाएंगे कहा जाता है। उक्त गुरु जी को बताया गया कि आज स्कूल मीडिया के कैमरे के टारगेट में आ गया है तो हड़बड़ाए शिक्षक के द्वारा अपने संकुल समन्वयक संजय रजक को व्हाट्सएप में मैसेज कर स्कूल नही आ पाने की वजह बताई जा रही है।

शिक्षा विभाग के नियम के तहत स्कूल खुलते ही शिक्षकों के द्वारा अपनी फोटो खींच कर अपलोड करना है,इधर नजारा कुछ ऐसा है कि एक भी शिक्षक अपने क्लास रूम में पढ़ाते हुए नजर नहीं आए। प्रधान पाठक सिंगरौल का बिगड़ैल प्रबंधन यहां साफ देखने को मिला।

और इन्होंने फरमाया की.

OMG न्यूज़’ नेटवर्क के स्थानीय रिपोर्टर ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी विजय टाडें से इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नाबालिगों से खाना पकवाना अपराध की श्रेणी में आता है और निश्चित रूप से प्रधान पाठक खिलाफ एक्शन लिया जाएगा वही जिला शिक्षा अधिकारी से इस पूरे मसले के बारे में संपर्क नहीं हो पाया है।

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