सूर्यदेव का मकर राशि मे प्रवेश,किन-किन राशियों को करेगा प्रभावित,प्राकृतिक आपदा के साथ क्यों होगा कुछ देशों में युद्ध.. जानिए पं अनिल पांडेय से..

🔴 मकर संक्रांति 2022 अर्थात अयन संक्रान्ति 🔴

पहले मैं आप लोगों को मकर राशि की स्थिति बताता हूँ, मकर राशि- यदि पृथ्वी को स्थिर धूरी अर्थात केन्द्र मानकर उसके चारो तरफ एक 360 अंश के वृत्त का निर्माण करें तो मकर राशि 270 से प्रारंभ होकर 300 अंश के बीच पड़ेगी जो कि तीरयक व कोणिक होगी। अब इस मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश – किसी भी ग्रह के किसी भी राशि के सीमा रेखा के स्पर्श को संक्रांति कहते है। अर्थात मकर संक्रांति का मतलब उस समय से है जब सूर्यदेव वृश्चिक राशि के सीमाक्षेत्र 270 अंश को पार कर मकर राशि के सीमा क्षेत्र को स्पर्श करेंगे। यह संक्रांति काल बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह समय सिर्फ एक खगोलिय घटना क्रम का समय ही नही होता है बल्कि यह समय वातावरण तथा पर्यावरण से लेकर मानव जीवन, पशु-पक्षी व वनस्पतियों तक को प्रभावित करता है। अब मैं आप लोगों को इस बार होने वाले मकर संक्रांति के बारे में बताता हू..

संक्रांति समय ..

इस बार 14 जनवरी 2021 दिन गुरूवार को बिलासपुर के स्थानिय समयानुसार प्रात: 08:14 बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अत: यही संक्रांति का समय है!

संक्रांति का पुण्यकाल..

यह संक्रांति अयन संक्रांति है अत: इस संक्रांति के समय प्रात: 08:14 से ठीक 6 घंटा 24 मिनट पूर्व से लेकर संक्रांति से 6 घंटा 24 मिनट बाद तक इसका पुण्यकाल रहेगा। अत: इस समय के बीच ही स्नान-दान आदि पुण्यकर्म करना अन्य अत लाभदायी होता है!

क्या कहता है शास्त्र..

संक्रांति के समय का पंचांग..

मास- पौष,
पक्ष – शुक्ल,
तिथि – प्रतिप्रदा,
वार – गुरूवार,
नक्षत्र – श्रवण,
योग – वज्र,
करण – बव,

संक्रांति की विशेषता..

नाम – मंदामहोदरी,
स्थिति – बैठी,
फल – मध्यम,
वाहन – सिंह,
उपवाहन – गज,
वाहनफल – भय,
वस्त्र प्रकार – विचित्र,
वस्त्र रंग – सफेद,
शस्त्र – बन्दूक,
पात्र – सुवर्ण,
भक्ष्य – अन्न,
लेपन – कस्तुरी,
जाति – देव,
पुष्प – सफेद कमल,
अवस्था – बाला,

संक्रांति का फल..

दिन के पहले त्रिभाग तथा श्रवण नक्षत्र में घटित होने के कारण यह संक्रांति राजाओ, राजप्रमुखों तथा शासकों के लिए घातक है! वही यह संक्रांति चोरों के लिए सुखद होगी। परन्तु गुरुवार को संक्रांति होने से आंशिक रूप से विप्रवर्ण के लिए संतोषजनक रहेगी।

संक्रांति का भारत सहित विश्व पर प्रभाव..

विश्व के कई देशों में तरह तरह के उपद्रव, धरना-प्रदर्शन, आन्दोलन होंगे तथा कुछ अप्रिय घटनाऐं घटेंगी, आतंकवादियों के द्वारा भी लोगों के जीवन को हानि पहुंचने की संभावना है। इस संक्रांति के साथ ही सूर्य सहित चार ग्रहों ( सूर्य+बुध+गुरु+शनि ) का संयोग एक हो रहा है। जो कि बिल्कुल भी शुभ संकेत नही है, यह संभव है कि किन्ही देशों के बीच युद्ध हो और धरती पर अत्याधिक मात्रा में रक्तपात हो। इतना ही नही प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आंधी-तूफान, भयंकर बर्फबारी, ज्वालामुखी के विस्फोट आदि से अनेकानेक जीव जन्तुओं का जीवन संकट में पड़ सकता है। भारत में भूकंप, भूस्खलन, वर्षा, हिमपात, बिजली गिरने आदि से क्षति की आशंका है, कुछ आकाशीय और यातायात संबंधी घटनाऐं भी सामने आयेंगी जिसका प्रभाव उद्योग, कृषि सहित मानव जीवन पर भी पड़ेगा।

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