ओह नो,एसईसीएल की ‘गुप्त सभा’: लोकतंत्र की नई गुफा मीटिंग!

बिलासपुर। लोकतंत्र में सबको बोलने का हक है, पर एसईसीएल को चुनने का। जी हां, बात हो रही है उसी “गुप्त प्रेसवार्ता” की, जिसमें प्रेस तो था लेकिन वार्ता सीमित थी। अब भला इसे प्रेस कांफ्रेंस कहें या कोयलांचल की कॉकटेल मीटिंग, फैसला आप कीजिए।

सूत्रों की मानें तो एसईसीएल की मीडिया रणनीति अब पर्सनल इनवाइट कार्ड पर टिकी है। बाकियों के लिए ‘नो एंट्री’ बोर्ड पहले ही टांग दिया गया था। पत्रकारों की मानें तो यह प्रेसवार्ता नहीं, प्रेफरेंस वार्ता थी। और कुछ पुराने पत्रकारों ने तो इसे “पत्रकारिता की Tinder मीटिंग” भी कहा — जहाँ ‘स्वाइप राइट’ उन्हीं पर किया गया, जो पसंद आए।

वरिष्ठ पत्रकारों ने चेताया है कि यदि यही हाल रहा, तो आगे चलकर प्रेस कांफ्रेंस की जगह “व्हाट्सएप कॉल बाय इनविटेशन” शुरू हो जाएगी, जिसमें सवालों के जवाब ईमोजी में मिलेंगे।

अब पीआरओ, सनीस चंद्रा ने जो सफाई दी, वो तो खुद साबुन भी शर्म से फिसल जाए! बोले – “यह तो बस एक इवेंट था, प्रेस कांफ्रेंस नहीं।” अब पत्रकारों को बुलाया, बातें की, फोटो खिंचवाए, और बोले कि ‘कांफ्रेंस नहीं थी’। जैसे शादी में फेरे लेकर कहें कि हम तो बस घूमने निकले थे।

 

खैर, पत्रकार संघ इस गुप्ताचार से इतना आहत है कि अब वे ज्ञापन लेकर दिल्ली तक कूच करने को तैयार हैं। अगली प्रेसवार्ता शायद एआई कैमरे और फेस रिकग्निशन से हो — “जो पहचान में आए, वही अंदर जाए!”

 

नोट: अगली बार प्रेस कांफ्रेंस की खबर जानने के लिए कृपया एसईसीएल की गुप्त टेलीग्राम चैनल पर नजर रखें, जिसका लिंक सिर्फ “विशेष” लोगों के तकिए के नीचे मिलता है।

 

 

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