मुंह फट

' रवि शुक्ला '


पार्ट 1.

एक दूसरे को सांत्वना.


प्रदेश की ट्रिपल इंजन सरकार का सुशासन काफी काबिलेतारिफ है और ऐसा हो भी क्यों न, पिछले 15 सालों की रमन सरकार के युग से सदियों से यही होता आया है और यही होगा कि परंपरा जो चली आ रही है, यानी अफसरशाही जिंदाबाद.




राजनैतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि ऊपर हाईपॉवर को छोड़ कर बाकी नेताओं,मंत्री, संत्री और विधायकों का कॉलर अफसरशाही के आगे गिरा हुआ है। रूतबा तो बचा नहीं और छोटे मोटे मामलों को निपटाने के लेकिन अगर गलती से फोन चला गया तो तव्वजों मिलता नहीं फिर बड़े मामलों की बात ही भूल जाओ। जिला हो या पुलिस प्रशासन के अफसर सामने देख आओ भगत और पीठ पीछे कार्रवाई का डंडा,ऐसा कुछ मसला फड़ में धराए नेताओं के रिश्तेदार, छाती चौड़ी करने वाले समर्थकों के साथ बीती, छोड़ने के लिए फोन गया लेकिन सब कुछ स्क्रिप्टेट जैसा रहा और राम राज्य में धर्म की जीत चवन्नी जैसी जो अब के दौर में किसी काम की नहीं साबित हुई। अब नेता एक फलाना अफसर की शिकायत हाउस में कर देंगे तो दूसरा ढेमाके अफसर की वहा करना है बोल एक दूसरे से चर्चा कर रहे हैं और सुनने वाले कह रहे है कि क्या करें बेचारे सांत्वना देने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते।


पार्ट 2.


देश की सोच से उल्ट इस बार बिहार चुनाव में बीजेपी ने धूर्रा उड़ा दिया। रिजल्ट आते ही सभी राजनीतिक दलों की आंखे फटी की फटी रह गई और सामने आया दूसरे दलों से स्टार प्रचारक बन कर बिहार में चुनावी फोटो बाजी कर रहे नेताओं के हीरो से जीरो बनने, अब जो होना था हो गया। बिहार चुनाव रिजल्ट के बाद ठेले, खोमचे और कुछ कुछ जगहों पर एक पूर्व विधायक पंडित जी को लेकर काना फूसी हो रही है।


कोईकह रहा था कि बीते पांच साल की ड्रामे बाजी कार्टूनिस्ट पिक्चर की तरफ आए और ऐसे गायब हुए कि मत, बिहार चुनाव में ऐसा प्रचार फोटो वाला प्रचार,बैठक और पार्टी के बड़े नेताओं से नजदीकी दिखाई कि हो गया बंटाधार, खुद की सीट तो बचा नहीं पाए और चले मुरारी हीरो बनने,ऐसा इसलिए कि पंडित जी ने बिहार चुनाव में खुद को ऐसा शो ऑफ किया जैसे पूरी जिम्मेदारी उन पर है और वक्त बे वक्त जो उनके काम आए जैसे उन्हें अब पहचानते तक नहीं, ' बुझे न पंडित जी '


नेता जी का ये इलू इलू क्या है.


हिंदी सिनेमा की एक पुरानी फिल्म सौदागर के चर्चित गीत ये इलू इलू क्या है ये इलू इलू...इन दिनों राजधानी के साथ प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में खूब गूंज रहा है। कोई बता रहा था कि जानते सब है लेकिन रंग मे भंग करने एक दूसरे से इस इलू इलू गाने के छत्तीसगढ़िया कलाकार और अपने जमाने के ठसक मंत्री और अभी विधायक की कलाकारी के बारे छेड़ते रहते है।


भई पूछे भी क्यों न,जब नेता जी ने इलू इलू के चक्कर में अपनी हीरोइन को एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन किश्तों से ज्यादा पेमेंट जो कि है वह भी मुंह बंद रखने के लिए पेमेंट हाथ में आया और मुंह बंद, जैसे हो खत्म हुआ फिर मीटर घूमना शुरू,अब ऐसे में होगा क्या जो हुआ सामने आ गया। मीटर का यूनिट बढ़ता देख जनता की तरह नेता जी भी भड़क गए जो वाजिब भी है.फिर क्या मसले को मैनेज करने की जुगत लगी हुई है।


मजनू अफसरों की दीवानगी.


कहते हैं खुदा हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है। इसी नजाकत ही तो कहेंगे न, प्रदेश में भारी चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राज्य के आधे दर्जन से अधिक सीनियर और कुछ सीनियरिटी की कगार पर खड़े आईपीएस अफसरों को ऐसी क्या दीवानगी चढ़ी कि अब जांच की आंच से जूझ रहे हैं।


नवा रायपुर के मुख्यालय में सभी के नामों की गिनती के साथ उनके दीवानगी के पिक्चर की फोटो और विडियो को जहन में लाकर फाइलों में चस्पा किया जा रहा है। दीवानगी की खुमारी में भर भर हुए अंग प्रदर्शन का ताजा मामला सामने आने के बाद आधा दर्जन से आईपीएस अफसरों को घेरे में लिया गया है। इनमें से कुछ ऐसे भी है जिन पर सिर्फ आरोप लगे है मगर जिनकी दीवानगी मिडिया, मार्केट की सुर्खिया बनी उनका क्या.. कुलमिलाकर आग सर्द मौसम में अफसरों के मजनूगिरी चर्चा काफी गर्म है।





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