‘मुंह फट’

‘रवि शुक्ला’

शनि के अढ़ैया की दशा..

राज्य में कांग्रेस की भूपेश सरकार पर शनि की दशा चल रही है वो भी अढ़ैया, ढाई साल की महादशा जून -जुलाई में लगने वाली है। इधर सरकार की सिट्टी पिट्टी गुम है,कहते है कि शनि की दशा किसी को बना देती तो किसी को सत्ता से उतार देती। तमाम अफसर नींबू मिर्ची लेकर काला धागा बांधे रोज दिल्ली जाते है और शनि की दशा की उतारने टोना टोटका कर आते है।

बाबा साहब तो ढाई साल की दशा का फायदा लेने दिल्ली दौरा कर चुके है और अपने विधायको के साथ गुफ्तगू में लगे, क्या पता कब तकदीर चमक जाए। सचिन ,सिद्धू को मनाने गांधी परिवार की गंगा बह निकली है इस बहती गंगा में सिंहदेव भी हाथ धो ले तो किसी को आश्चर्य नहीं करना चाहिए, आखिर ढाई- ढाई साल के कमिटमेंट को पूरा करने का सवाल है।

दुखी कांग्रेसी..

कांग्रेस की सरकार और उसका सिस्टम सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए जाना जाता है। माले मुक्त दिले बेरहम , की तर्ज पर कांग्रेस सत्ता बांटे जाने का दूसरा नाम रही है। लेकिन पिछले ढाई साल से सत्ता का केंद्रीकरण को देखकर अंधा कांग्रेसी कार्यकरता भी दुखी हो रहा है।

न निगम मंडल बने, न शासकीय संस्थाओं में रुतबा बंटा और तो और राशन की दुकानें भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को नही बंट सकी, जिसे आज भी ठाठ से भाजपाई और जनसंघी चला रहे हैं। 15 साल बीजेपी की सरकार में एडहाकम में जिनकी भर्तियां की थी उन्हें तक कांग्रेसी नही हटा सके और कांग्रेस सरकार में घुसे इन जनसंघियों ने अंदर ही अंदर घुन लगाना शुरू कर दिया। सारा दोष है प्रदेश की कांग्रेस सरकार का जो आजतक सत्ता को अपने हाथ केंद्रीत कर रही है अरे कार्यकरता कमाएगा नही तो चुनाव में खर्चा कहा से करेगा। अभी भी इसे नही समझा गया तो कांग्रेस की आगे बैंड बजनी तय है।

मुखिया मुखसो..

पुलिस का मुखिया ऐसे ही कोई नही बन जाता उसकी चार आंख बारह कान होते हैं, सब कुछ पता रहता है की कहा क्या हो रहा है। कौन आईजी,एसपी, डीएसपी (एसडीओपी) और मुख्य रोल में थानेदार टेंट सजवा के जुआ के फड बिठवा रहा है। सट्टा और राज्य के अलग अलग जिलों में काले कारोबार की कब कहा और कितनी तोड़ी किस माध्यम से पहुच रही है सब खबर है बडे साहब को,इतना ही नही किस पुलिस अफसर को कहा से टॉपअप देकर सियासी सुरक्षा मिल रही है ये भी पता है।

यह अलग बात है कि अब करना क्या है। जुम्मा जुम्मा देढ़ साल बचा है ये भी जैसे तैसे कर कट जाना है, बस कोई बड़ा बवंडर न हो प्रदेश में बाकी सब नेताओ की मर्जी वैसे बडे साहब अपने न-न प्रकार के मोबाइल फोन पर सब का लेखा जोखा जरूरी सेव कर रखते है ताकि समय आने पर झटका दिया जा सके।

कप्तान की दीपावली..

छत्तीसगढ़ में रहने-बसने और बनने के लिए कोई सब से अच्छा जिला राजधानी के बाद सेकेंड टॉप कहे जाने वाला जिला है। यहां जो आता है उसका मन जाने का नही करता कहते है इस जिले की आबो हवा जिस पर मेहरबान हो गई उसकी तो निकल पड़ी वरना बड़े -बड़ो को यहां पटखनी खानी पड़ी हैं। अब पुलिस कप्तान को ही ले लो,लंबी पारी खेलने की जुगत में है,प्रमोट होकर राजधानी संभालना उनको,अब कहने को तो राजधानी है लेकिन यहां पुलिस कप्तान की हालत (32 दांतो के बीच जीभ) बेचारी जैसी होती हैं।

कौन बड़े नेताओं, मंत्रियों और अफसरों के बीच फंसे इसलिए फिलहाल के लिए थोड़ी जोड़ जुगत लगा मामला लटका लिया गया। इधर उनके चहेते मातहत तो गर्व से बताते है कि हमारे साहब दीपावली यही मनाएंगे। दीपावली का मतलब समझ रहे है न.. दीपावली मनेगी भी, मनाएंगे भी,महकमा लक्ष्मी पूजन भक्ति भाव से करेगा ऐसी शुभकामनाएं है।

शाबास आईजी..

तखतपुर थाना क्षेत्र के खपरी में महिला अफसर की टीम ने करीब एक करोड़ का गांजा पकड़ा,माल और आरोपी समेत फ़ोटो खिंचवाई गई और मीडिया तक पहुचाया गया सब ठीक था, मगर इस कार्रवाई के असली हीरो आईजी डांगी का कही जिक्र ही नही हुआ। भई ऐसा है आईजी साहब सनद रहे यहां पुलिस कप्तानी भी कर चुके है जिसका फायदा उनको मिल रहा है. आईजी को एक करोड़ के गांजे के खेप की खबर लगी,लेकिन एसपी,एएसपी,एसडीओपी यहां तक टीआई को भनक तक नही, इधर आईजी ने पाइंट दे दिया और इतना बड़ा माल पकड़ा गया।

ये होता है जनता से जुड़ी पुलिसिंग का असर अब तो दूसरों को भी इससे सबब लेना चाहिए ताकि अगली बार उनके कानों तक खबर जाने से पहले ही माल समेत आरोपी धरा जाए।

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