‘मुंह फट’

‘रवि शुक्ला’

न्यू कैप्टन न्यू चैलेंज..

जिले के पुलिस कप्तान इस बार बस्तर से आ रहे हैं वैसे तो कोई ना कोई अफसर कहीं ना कहीं से आते हैं। लेकिन इस बार के अफसर के साथ जो बस्तर से हवाएं छन कर आ रही है वह बताती हैं कि झा साहब ईमानदार भी हैं और कड़क भी, जिले की हवा पानी में उनकी यह दोनों क्वॉलिटी मेंटेन रह पाएगी यह तो वक्त ही बताएगा, पर जिले के पुलिस वाले झा साहब के आने से खासी चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं।

कहते हैं जिले की पुलिस फोर्स को नई चुनौतियां के दौर से गुजरना पड़ेगा थानों में इसकी सुगबुगाहट दिखने लगी है पुरानी शिकायतें और मामले जो राजनीतिक प्रभाव से दफन कर दिए गए थे उन्हें फिर से निकालकर रिकॉर्ड मेंटेन किया जाने लगा है। भ्रष्ट और खडूस थानेदार पब्लिक से अपना व्यवहार बदलने बातों में जुबा केसरी घोलने लगे हैं अच्छा है पुलिस में चेंज जरूरी भी है चाहे किसी अफसर के बहाने ही सही इस लिहाज से जिले की पब्लिक कह रही है, ‘वेलकम न्यू सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस’..

सरकंडा का दरबार हुआ सदाबहार..

सरकंडा में एक अधिवक्ता सह भूमाफिया का दफ्तर हैं जहाँ छोटे से लेकर बड़े राजस्व अधिकारी आम दरफ्त करते हुए दिख जाते हैं। उक्त महाशय का जलवा इतना है कि चाहें राजस्व अधिकारी कोई भी आये, इनके दरबार मे हाजरी जरूर लगाते हैं। उक्त अधिवक्ता सह भूमाफिया के दरबार से ही कई विवादित जमीनों के मसलो पर फैसला होता हैं और कई तहसीलदार अपनी जरूरी फाइल इनके दफ्तरों में छोड़ जाते हैं।

यह भी आश्चर्य कि बात है कि जो अधिकारी आपस मे एक दूसरे को फूटी आँख नही सुहाते,वो सब भी इसी दरबार मे हाजरी लगाते है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि उनका विरोधी अफसर भी उसी दरबार का खास दरबारी हैं और हमारे लूप होल्स जान कर हमारा नुकसान भी कर सकता है। बल्कि सभी राजस्व अधिकारियों को उक्त माफिया सह अधिवक्ता पर पूरा भरोसा जमा हुआ है, और कोई भी तकलीफ आने पर संकटमोचन मान कर इसी अधिवक्ता के पास दौड़ लगाते हैं, हालांकि ये अलग बात है कि जमीन फर्जीवाड़ा के एक मामले में उक्त महाशय खुद ही जेल की हवा खा चुके हैं। फिर भी ईन पर अटूट विश्वास राजस्व अधिकारियों का बना हुआ हैं और तहसील दफ्तर जाने से पहले उक्त अधिवक्ता सह माफिया के दरबार मे राजस्व अधिकारी रोज हाजरी लगाने जाते हैं।

हताश और निराश कांग्रेसी..

कांग्रेस की सरकार 15 साल बाद बनी है। 10,20,50 को छोड़ दीजिए और कार्यकर्ता से पूछे कि उसको क्या मिला तो वह तपाक से डायलॉग मारेगा की ‘खुदा ही मिला न रिसाले सनम’ निगम मंडल तो छोड़ दो साहब, राशन दुकान और छोटे-मोटे लाइसेंस और नौकरियां तक उनके नसीब में नहीं है। आज भी कई विभाग में भाजपाई ही मलाई सोट रहे है।

चूंकि सरकार वन मैन शो है इसलिए एक आदमी किस किस के बारे में और क्या- क्या सोच लेगा और कर लेगा। ये सब बेकार की बात है कि कोई आदमी काम नही करता है। कांग्रेस में न कभी पहले सिस्टम था और आगे रहेगा। इसमें तो जो करता है नेता ही करता है,लिहाजा लोग अब भूपेश सरकार की तुलना जोगी सरकार के साथ करने लगें है।

सुपर सीएमएचओ ने साधा सबको..

यू तो जिले में स्वास्थ्य विभाग का मुखिया सीएमएचओ होता हैं, पर बिलासपुर जिले का स्वास्थ्य विभाग एक सुपर सीएमएचओ के निर्देशों के अनुसार चलता है, कहने को तो यहां सीएमएचओ पदस्थ होते हैं पर कई सालों से यहां चलती है। कई सालों से जमे एक अदने से लैब टेक्नीशियन की ही हैं। लैब टेक्नीशियन सीएमएचओ आफिस में लम्बे समय से जमा है और चाहे यहां सीएमएचओ कोई भी हो विभाग में तूती सिर्फ इसी की बोलती है, और विभागीय अमला छोटे से लेकर बड़े तक सारे छोटे- बड़े काम के लिए इन्ही से सम्पर्क करते हैं।

हालांकि बीच मे विभाग में इनके ऊपर बब्बर सिंह जैसे भी एक सीएमएचओ आये जिन्होंने इनकी सिंहगिरी की औकात दिखाते हुए हेकड़ी निकाल दी थी। पिछली सरकार में एक रसूखदार सिंह से रिश्तेदारी गांठ कर विभाग के सिंह बनें कर्मचारी ने अब कांग्रेस की सरकार में सभी धड़ों को साध कर बब्बर सिंह का दर्जा प्राप्त कर लिया है। शहर के अहम जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारी व छुटभैये नेता भी हर काम के लिए सुपर सीएमएचओ को फोन घुमाते है। सिम्स की एक डॉक्टर को हटाने व बचाने के लिए रस्साकस्सी करने वाले दोनों गुटो को अपने ऊपर रस्साकशी होने से बचने के लिए सुपर सीएमएचओ ने साध लिया हैं।

सरकार और आईपीएस.

पिछले दिनों सरकार ने एक साथ कई जिलों के एसपी को बदल डाला, खास कर इस बार दाऊ जी ने युवा चेहरों को बड़े और नामी जिलों की कमान सौंपी है। पुराने से नए जिले जाने वाले अनेक आईपीएस ऐसे है। जिन्होंने अलग अलग तरीको से अपनी छाप छोड़ दी। जिले की बात करे तो दो साल में पुलिस Vs एमएलए का एपिसोड तो किसी से छुपा नही है। एमएलए टीम मान रही है कि एसपी का तबादला पाण्डेय जी की नाराजगी का असर है लेकिन एसपी खुद नए जिला जाना चाह रहे थे यह भी किसी से नही छिपा है लो भई गए भी तो सीएम- गृहमंत्री और एक सीनियर मंत्री के जिले अब इसे तो प्रमोट ही माना जाएगा न,

इधर रायगढ़ जिले के सुपुत्र को हीरे की खान से निकाल के पावर सिटी में पुलिस कप्तानी का मौका दिया गया है। युवा एसपी अपने सरल और मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते है, जब पूरे प्रदेश में आईपीएस अफसरों के तबादले की चर्चा थी तब इनका कही नाम न था,अचानक पावर सिटी भेजे जाने से ब्यूरोक्रेसी में काफी चर्चा है। वैसे लगभग सवा साल पूरा कर इस्पात नगरी की ओर रुख कर गए आईपीएस को भी सरकार ने बड़ा जिला दिया है। अरे यहां आने के लिए तो डिमांड चलती है, शांत स्वभाव और काम से मतलब रखने वाले इस शख्सियत की भी ऊपर अच्छी ट्यूनिंग होना माना जा रहा है, तभी तो किसी को कानोकान खबर नही लगी और एक जिले से पास के ही दूसरे जिले खिसक लिए। शिक्षाविद और गंभीर व्यक्तित्व लेकिन मीडिया को सांठ कर रखने वाले यूपी की मिट्टी के आईपीएस का 23 महीने में इस्पात नगरी से दूर जाना समझ से परे है, वैसे सभी संपदा से परिपूर्ण जिला एक तरह से ठीक ही है मगर इस आईपीएस का नाम रेंज के सब से महत्वपूर्ण जिले के लिए चल रहा था। पुलिस कप्तानो की इस तबादला लिस्ट ने 2013-14 बैच तीन आईपीएस अफसरों की तिकड़ी जोरदार चल रही है सुकमा,नारायणपुर से आगे पीछे साथ रहे एसपी और छसबल में भी पारी खेल रहे हैं,अब भी साथ ही चल रहे हैं राज्य के अंतिम छोर के जिले में साथ रहे इसी तर्ज पर एक को बस्तर भेजा गया तो वही कुछ ही दूरी पर एक अफसर को कमांडेंट की जिम्मेदारी सौपी गई है। एसपी का चार्ज लिए ये साहब भी काफी शांत और सब को लेकर चलने वालों में से है वही गंगा किनारे के इनसे एक बैच सीनियर अफसर अपनी तेज तर्रार स्टाइल के साथ काम करते है फिर सामने मंत्री हो या संतरी जहा है अपने तरीके से काम, डोंट डिस्टर्ब मी.लगता है इसलिए सरकार इन्हें एसपी की कुर्सी देने के मूड में नही है।

आगे बात करे तो सरकार ने प्रमोटी आईपीएस अधिकारी का खेल बिगाड़ दिया सरगुजा के सब से अहम शहर में पहले एडिशनल एसपी फिर एक एसआई की कंधों पर पुलिसिंग करने वाले एसपी को सेनानी बना वहां आईपीएस अफसर को भेज दिया है। न्यायधानी को आने जी तोड़ मेहनत में लगे अफसर को सीएम ने सीधा अपनी सुरक्षा में बुला लिया तो वही कभी फिल्मों में हीरोगिरी को बेताब प्रमोटी अफसर बस्तर के भीतर से कमांडेट पोस्ट से थोड़ा बाहर जरूर आ गए हैं। एक समय मे राज्य की पुलिसिंग के रियल हीरो और राजधानी में कामकाज के साथ बीजेपी सरकार के चहेते अफसर आज भी कांग्रेस के शत्रु बने हुए है सरकार बदलते ही उन्हें शुरू से लूप लाइन में रखा जा रहा है तभी तो उन्हें बाहर से भीतर यानी दंतेवाड़ा में छसबल के कमांडेट बनाया गया है। कुल मिलाकर नए आईपीएस सरकार की गुड बुक में है।

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