मुंह फट

‘रवि शुक्ला’

डॉगी की वफादारी.

बाबा साहब राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नही है,उन्होंने सीएम भूपेश बघेल के पैरलर प्रदेश में दौरा शुरू किया है। बाबा को पता है कि अपनी लकीर लंबी करने के लिए यह जरूरी है और इतना तो प्रशासनिक अनुभव है ही कि कोई भी अफसर सत्ता के खिलाफ नहीं जाता है।

ठीक है कि बस्तर दौरे में दंतेवाड़ा- जगदलपुर कलेक्टर-एसपी सार्वजनिक तौर पर नही आए तो यही हाल जिला मुख्यालय के कांग्रेस पार्टी के नेताओ का रहा,बनी बात है कोई भी सीएम बघेल के प्रतिद्वंद्वी से मिलने कैसे जाए। लेकिन किसी मातहत के हाथ रात के अंधेरे में बुके पहुंचाना भी बड़ी बात है, सियासत में उच-नीच चलती रहती है, कहते है अफसर तो वफादार डॉगी होते है,फर्क इतना है कि उसकी जंजीर जिसके हाथ में होती है और जो टुकड़े देता है उसी की वफादारी करता है। आज जंजीर किसी के हाथ मे है तो कल बाबा के हाथ मे होगी तो बाबा की वफादारी करेंगे।

लक्की,फक्की,डक्की.

बिलासपुर जिला राजनीतिक दुर्भाग्य शाली है,पड़ोसी जिले के सेठ मंत्री से यहां ऊर्जा मिलती रहती है सीएम का प्रोग्राम था तो बड़ो के बीच में सियासी दिग्गजों के बीच मे चाटुकारों की खरपतवार पाई जाती है।
कई लक्की,फक्की,डक्की. पैदा हो जाते हैं कहने को तो कहने को तो छात्र संगठन चलाते हैं लेकिन भरपूर दलाली,नवनीत लेपन और इसकी आड़ में झाड़ काटकर मलाई खाने की विशेषता इनके पास होती है।

खुद को सुपीरियर साबित करने कई बार इस चक्कर में उल्टा सीधा कर बैठते है।अब उसी दिन की बात है जब सीएम आने वाले थे दाऊ रायपुर से उड़े भी नही थे यहां के
लक्की,फक्की,डक्की ने सेठ मंत्री को जाकर थाम लिया और बोल दिया कि हाउस से बात हो गई है बस निकलने ही वाले हैं, चलो चलते है,मंत्री जी चल दिए,साइंस कॉलेज हैलीपेड पर पहुचने के बाद पता चला कि अप्रैल की भारी गर्मी में सिर पर पड़ रही है।पूरा माथा गर्म हो गया चंगू- मंगू कहने लग गए कि मंत्री जी को इतना पहले बुलवा लिए कहि वे माता जी बहन जी को याद न करने लगें,सब लक्की,फक्की,डक्की को लगे अपन तो चुपचाप निकल लेते है. पुलिस वाले अलग से परेशान की लक्की,फक्की,डक्की मंत्री जी को लेकर चला गया है अब जाने क्या होगा.

मुफ्त की सलाह– राजनीति है खुशामतखोरी जम के करो मगर ऐसी मत करो जिसमें थूक्का फजीहत हो जाए और लेने के देने न पड़ जाए।

एसडीएम आचार्य.

पैसा कौड़ी से दूर रहने वाले अफसर आजकल विलुप्त प्रजाति में आ गए हैं, भूले भटके कोई आ गया तो पूरा अमला चाहता है कि वह अफसर कब जाए, बिलासपुर तहसील व एसडीएम ऑफिस का पूरा अमला इन दिनों परेशान उनके काम पर काम धंधे का भट्टा बैठ गया है।

क्योंकि यहां भट्टा आचार्य आ गए हैं मातहतों को दांवपेच करते नहीं बन रहा क्योंकि उन पर दाऊ सरकार का हाथ है। ना खाऊंगा ना खाने दूंगा का मूल मंत्र देखते कब तक चलता है। वैसे इस घोरतम भ्रष्टाचारी महक में नए अफसर के आते ही चिट्ठी भेजकर मिलने की प्रथा बंद हो गई है, खुला दरवाजा है, कोई भी कभी भी आए। सुबह दस से शाम पांच बजे तक ऑफिस में खुद ही दिखते हैं, इसलिए तहसीलदारों को भी अपनी कोर्ट में दिखना पड़ रहा है, शाम पांच के बाद घर जाते ही किसी से भी मिलना जुलना बंद, मेरा घर है ऑफिस नहीं,खैर मातहतों के लिए वो चाहे जैसे भी हो लेकिन जनता के लिए फरियाद सुनने वाले हैं ऐसे ईजी एवलेबल अफसर की आज के समय की मांग है।

हमर जिला पुलिस.

6 महीना ले ज्यादा हो गे पुलिस मा एक झन मेंडम आए है,अन्ते-तन्ते सुनथे नई माथा ला पटक ले फोन ता नई उठाए के कसम खाए हे,समाज के महिला मन के पंचोऊरा देखे के जिम्मेदारी हे, ऑफिस मा भी कम दिखते कहे का ता रायपुर रद्दा के दू आउ एक घलो देहात थाना के सुपरविजन मेडम हे आउ का पता ओ तरफ भी कभू कभार झांके बर जाथे कि नई.

कइसे बड़े मेडम आउ साहबो मन ओला झेलथे, राशि-रत्न मा बड़ा दिलचस्पी हे नौकरी मा आए के बाद बूता के शुरुआत भी यही जिला ले करें रहिस,ठाए-ठाए अंग्रेजी में गोठियाय, मगर बूता बस वीआईपी ड्यूटी के वइसे कोनो ला निराश नही करे बढ़िया गोठियाथे आउ घुलमिलकर जाथे,मजे के बात ता ये हे कि ओ हा अपन साथी मन के फोन ला भी अनदेखा कर देथे अरे मेडम अब्बड़ नही त थोड़ा ले ही सही अपन पद के गरिमा के हिसाब ले चल चला। अभी तो तोला अब्बड़ आगे जाए बर हे उज्ज्वल भविष्य के गाड़ा-गाड़ा बधाई.

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