मुंह फट

‘रवि शुक्ला’

…अंजाम ए गुलिस्तां.

ऊर्जा नगरी में अग्रवाल कम सिंह का जलवा आज से नहीं है, मंत्री हैं तब भी नहीं थे तब भी, महकमा उनकी ताबेदारी करता रहा है। मानो या न मानो लेकिन उन्हें जी हुजूर पसंद है।

अब यहां पहुंच गई है स्मार्ट आईएएस अफसर हम सब जानते हैं उनकी अफसरी को जब वे यहां नगर निगम कमिश्नर थी। मॉडर्न है, यहां जो किया सो किया अब कलेक्टर बनकर मंत्री के माथे पर कैटवॉक कर रही हैं हुकूमत कांग्रेस की है भला ऐसे कैसे चलेगा, ठीक है महंगी पोस्टिंग हुई है। लेकिन मैडम काम-धंधा और पेट तो सभी का लगा है। इसी को कहते हैं हर साख पर उल्लू बैठा है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा.

कलेक्टर और वकील.

मामला, मुकदमा कैसा भी हो जाना तो उसको अदालत के कटघरे में है और पैरवी करनी है किसी न किसी वकील को बस यही उलझन है। रायगढ़ के तहसील कार्यालय में वकील VS राजस्व विभाग के विवाद के मामले की आंच बिलासपुर पहुची, क्योंकि यह न्यायाधानी है जहां इस मामले की आंच पहुंचते ही मसला और गंभीर हो गया
वह इसलिए कि यहां ताजा-ताजा वकीलों का चुनाव हुआ है।

वकील अच्छे खासे जोश में थे या यूं कहें कि तैश में थे। ऐसे में जो वकील कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने गए तो प्रशासनिक अमले ने इसे भांप लिया। आखिरकार कलेक्टर भी तो एक राजस्व अधिकारी हैं और राजस्व विभाग में लेनदेन के बिना कुछ नहीं होता और जहां लेनदेन होता है वहां थोड़ा बच के रहना भी पड़ता है। लिहाजा कलेक्टर वकीलों को आता देख अपना चेंबर छोड़ निकल लिए एसएसपी के चेंबर की शरण में अब गुस्साए वकीलों ने पहले तो मंथन के बाहर इंतजार किया फिर कलेक्टर चेंबर के बाहर के सामने शंख बजाने लगे चक्का जाम की स्थिति निर्मित हुई मामला बढ़ता देख छुपते-छुपाते पूरे फोर्स के साथ कलेक्टर आए और ज्ञापन लिया।

आईपीएस का मिलन.

जिले में एक नए सिखाड़ी आईपीएस आए हैं, फूल तेवर और क्लेवर के साथ,मानो बॉलीवुड के किसी कुमार की तरह,दल- बल के साथ खुद रोड़ पर खड़े हो जाते हैं दुपहिया वाहनों की चेकिंग के लिए, डंडा लेकर मयखानों के बाहर शराबियों को खदेड़ने से चूकते भी नही,जरूरी भी है शहर की कानून व्यवस्था भी तो कोई चीज है, अरे भई आईपीएस अफसर है कोई मजाक तो नही कहते फिरते हैं अरे हम आईपीएस है इतना टशन तो बनता ही है।

हुआ यूं कि आईपीएस ने एक सिपाही को जरा भाव क्या दिया शायद यह बात एसआई को चूभ गई। एसआई ने सिपाही को उतार दिया पेट्रोलिंग से बस फिर क्या आईपीएस का दिमाग सातवें आसमान पर गाड़ी निकलवाई और पहुच गए थाने पता चला एसआई छुट्टी पर है अब उससे मिलन नही हो पाने का गुस्सा कहि तो उतरना ही था न तो टीआई ही सही, खैर आईपीएस के तेवर के आगे जहा सब का पानी कम है तो वही पुलिस अमला हैरान परेशान है। कोई बता रहा था कि देर रात बड़े -बड़ो पर रेड करने का सुरूर चढ़ जाता है,रेत-गिट्टी गाड़िया दिखाई पड़ती है और न जाने क्या-क्या, मातहत बोलते भी है साहब क्यो लेते है उड़ता… कुछ कहो तो कप्तानिका से बात हो गई है कहते है। आलम ये की आईपीएस अफसर को देख स्टाफ की भागमभाग, कहते है न कि ऊपर वाला हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है,मगर ज्यादा नजाकत भी ठीक नही होती,अभी समय है सीख लीजिए कप्तानिका से पुलिसिंग के गुर उन्होंने भी इसी जिले से ट्रेनी अफसर के तौर पर नौकरी की शुरुआत की थी। उनका आईपीएस का तमगा लगा कहि खड़ा हो जाना ही बड़े-बड़ो के पसीने छुड़वा दिया करता था वो भी बिना डंडे के बल पर.

अमले के पौ बारह.

कांग्रेस की सरकारों और संगठन के खिलाफ भले ही देशभर में नाराजगी हो पर अपने प्रदेश में मामला अलग है। क्योंकि यहां मांग उठने से पहले सरकार उसे पूरा कर देती है। पहले आते ही कांग्रेस सरकार ने पुलिसवालों को वीकली ऑफ दिया।

फोर्स खुश, फिर शनि- रवि 2 दिन की छुट्टी दी तो अफसर और कर्मचारी यानी प्रशासन खुश, अभी-अभी OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया तो गुरुजी,पटवारी समेत पूरा अमला खुश, माना यह जा रहा है जब खुश रहेंगे सब कोई तो अच्छा काम करेंगे और शायद जनता भी खुश हो जाए.

मुफ्त की सलाह.

सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भय बिन प्रीत न होए गोसाई, यानी अमला खुश है तो ठीक है। लेकिन वह जनता का काम करें इसके लिए सरकार का भय भी होना चाहिए तभी जनता का काम होगा और जनता जनार्दन खुश रहेगी.

एक बात हौले से.

पूर्व दबंग मंत्री शहर के गलियों की खाक छान रहे सब से पूछ रहे हैं और भाई के हाल से, किसी को पता है क्या उन्हें कितना रिस्पांस मिल रहा है।

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