IPS पवन देव पर अब तक कार्रवाई नहीं तो हाईकोर्ट की अवमानना..

बिलासपुर. लैगिंग उत्पीड़न के आरोपी आईपीएस पवन देव पर करवाई के लिए हाईकोर्ट की मियाद खत्म हुई पर कारवाई नही होने से पीड़िता ने एक बार फिर डीजीपी को पत्र लिखा है. इसमे एडीजी पर क्या एक्शन लिया गया यह जानकारी मांगी गई है। अन्यथा पीड़िता न्याय पाने के लिए आगे की लड़ाई लड़ने के मूड में है।

मुंगेली जिले की एक महिला आरक्षक को देर रात बंगले बुलाने और उससे अश्लील बातें करने के आरोपी एडीजी व तत्कालीन बिलासपुर आईजी पवन देव की मुश्किलें खत्म होने का नाम नही ले रही। राज्य शासन द्वारा आईएएस रेणु पिल्ले की अध्यक्षता मे गठित आंतरिक शिकायत समिति(विशाखा कमेटी) की जांच मे लैंगिग उत्पीड़न के आरोपी पाए गए देव का यह मामला काफी सुर्खियों में है। वहीं पीड़िता को न्याय नहीं मिलने और हाईकोर्ट के द्वारा कड़े शब्दों मे 45 दिनों के भीतर पवन देव पर करवाई कर सूचित करने की बात ठंडे बस्ते में जाने के बाद पीड़िता ने फिर से डीजीपी एएन उपाध्याय को पत्र लिखकर अब तक एडीजी पर लिये गए एक्शन की जानकारी मांगी है।

omgnews.co.in को मिले पत्र में पवन देव पर कारवाई को लेकर 45 दिन से ज्यादा हो गये है लेकिन राज्य सरकार ने क्या कदम उठाया इसकी जानकारी नहीं दी गई।अगर इसके बाद भी कार्रवाई नही की जाती तो पीड़िता न्याय के लिए कानूनी तरीके से आगे की लड़ाई लड़ने बाध्य होगी।

मगर कारवाई जीरो..

पीड़िता ने शुरू से लेकर अब 6 आवेदन केंद्रीय गृह सचिव, राज्य के गृह सचिव समेत डीजीपी को भेजा है लेकिन कोई कारवाई नहीं की गई।

कारवाई नही तो अवमानना-निरुपमा..

पीड़िता की वकील निरुपमा बाजपेई ने बताया कि सरकार और डीजीपी के द्वारा पवन देव पर एक्ट के तहत कारवाई नहीं करना बड़ी चिंता जनक बात है.जबकि हाईकोर्ट ने भी विशाखा एक्ट के प्रावधानों के तहत देव पर करवाई करने हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। लेकिन45 दिन से अधिक हो गये। इसके बाद भी कोई ठोस कारवाई नही होगी तो माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना याचिका प्रस्तुत किया जाएगा।

आखिर मतभेद क्यों?..

मालूम हो कि प्रदेश मे कुछ समय पूर्व पुलिस मुख्यालय में पदस्थ एएसपी संजय शर्मा पर महिला कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था जिसमे भी विशाखा कमेटी ने जांच कर एएसपी को दोषी पाया और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया। सूत्रों के अनुसार पवन देव को बचाने आरोप पत्र देने की तैयारी चल रही है जबकि कानून विदो की माने तो विशाखा एक्ट मे ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

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