अमृत मिशन योजना की लेटलतीफी पर पूर्व मंत्री अमर ने उठाए सवाल..

राष्ट्रीय प्राथमिकता के कार्यों में शासन प्रशासन की कोई रुचि नहीं, संसाधनों का कमी का रोना राज्य सरकार की आदत में शामिल

बिलासपुर-पूर्व मंत्री अमरअग्रवाल ने अमृत मिशन योजना की लेटलतीफी पर क्रियान्वयन एजेंसी एवं राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि राष्ट्रीय प्राथमिकता के कार्यों में जनता को सुविधा मुहैया कराना राज्य सरकार की कार्यशीली में नहीं है।

अमर अग्रवाल ने कहा कि मिशन अमृत (अटल शहरीकरण नवीनीकरण और परिवर्तन मिशन) की स्टेट की हाई पावर कमेटी के द्वारा अक्टूबर 2017 से बिलासपुर को 301 करोड़ रुपए की पेयजल आपूर्ति योजना की सौगात मिली। बिलासपुर के नागरिकों की आने वाले 5 दशकों तक भावी पीढ़ी की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति करने के साथ शहर की अनेक कालोनियों जैसे विद्यानगर, विनोबा नगर तेलीपारा, तारबहार, मगरपारा, सरकंडा, तोरवा आदि इलाके जहां सतत दोहन से भूजल स्तर लगातार गिरने की समस्या देखी जा रही है, सतह जल आधारित अमृत मिशन से पेयजल आपूर्ति द्वारा अंडर ग्राउंड वाटर लेवल का भी संतुलन बनाए रखने हेतु खुटाघाट जलाशय से बिलासपुर नगर निगम के लिए स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुविधा निर्माण कार्य आरंभ हुआ, जिसे 2 वर्षों में 2019 तक पूरा हो जाना था, किंतु ठेका कंपनी ह्यूम पाइप सर्विसेस लिमिटेड को बार-बार एक्सटेंशन दिए जाने से आज भी यह कार्य लंबित है और 2022 तक पुनः एक्सटेंशन ठेका कंपनी को प्रदान किया गया। ठेकेदार की लेटलतीफी और निगम प्रशासन और नगरीय विकास विभाग की ढुलमूल और कामचलाऊ व्यवस्था से शहरवासियों को पीने के पानी की मूलभूत जरूरत का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि, योजना के तहत बिलासपुर की जनता को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए बिरकोना में ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर खुटाघाट से बिरकोना तक की 26 किलोमीटर पाइप लाइन योजना अंतर्गत बिछाई जानी है। बिरकोना से शहर तक 276 किलोमीटर पाइप लाइन मिटाने का लक्ष्य रखा गया, समय सीमा बीत जाने के बावजूद क्रियानवयन एजेंसी और ठेका कंपनी के द्वारा कार्य में अनावश्यक देरी किया जा रहा है। पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी आज तक पूरा नहीं हुआ है। अनेक मोहल्लों में जहां पाइप लाइन लगाई गई है वहां पानी टंकी के द्वारा ट्यूबवेल से पेयजल सुविधा शुरू किए जाने के दावे के बावजूद लोगों को स्वच्छ पेयजल सुविधा नहीं मिल पा रही है। सतही जल के प्रयोग पर आधारित मिशन अमृत योजना अंडर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करते हुए जनता को 24 घंटे स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लाई गई थी, लेकिन 210 करोड़ रु से ज्यादा खर्च हो जाने के बाद भी आज भी लोगों को ना तो अमृत मिशन का पानी मिला बल्कि पाइप लाइन बिछाने के नाम पर पूरे शहर की सड़कों जगह-जगह गड्ढे कर दिए गए। ठेका की शर्तों में रोड रेस्टोरेशन के नाम पर नियमो के विरुद्घ जाकर खानापूर्ति की जा रही है।

जिससे शहर के मुख्य इलाकों और गलियों में अनेक छोटे बड़े गड्ढे बन गए है और इन सड़कों में आए दिन दुर्घटना होती रहती है, लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब अपनी कर्मभूमि को खोदापुर की संज्ञा देने वाले जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक आज इस अव्यवस्था पर मौन क्यों हैं? । खुंटाघाट से पानी पाइप लाइन के जरिए सीधे बिरकोना स्थित फिल्टर प्लांट में लाया जाना है। यहां से पानी का शोधन कर पाइप लाइन के जरिए शहर के विभिन्न् मोहल्लों में बने पानी टंकियों में भेजा जाएगा और इस टंकियों से लोगों के घरों में चौबीस घंटे लोगों को पानी मिलेगा।
प्रस्तावित अमृत मिशन योजना के शहर के चिन्हाकित स्थानो में बिरकोना में शोधित जल के संग्रहण के लिए प्रस्तावित छह पानी की टंकियों में केवल तीन पानी की टंकी बन पाई है, घरों में मीटर लगाने का काम भी आधा हो पाया है। ऐसे में महानगरों की तर्ज पर शहरवासियों को 24 घंटे साफ पीने का पानी की सुविधा उपलब्ध होना अभी दूर की कौड़ी बना हुआ है। बावजूद इसके ठेकेदारों, अधिकारियों की मिलीभगत से महत्वपूर्ण परियोजना अधर में पड़ी है।

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