गांव से आए भाई बहनों को शहर में खाकी से मिला सहारा.

महासमुंद. संसार मे कब- कौन और किस रूप में मदद के लिए सामने आ जाए शायद ही किसी के जहन में आता होगा,वह भी तब, जब सिर पर अपनो का हाथ न हो और मदद मिल जाए वो भी खाकी वर्दी से,ये पूरी कहानी है, सरायपाली के ग्राम किसहंडी के निर्धन भाई-बहन की,जो काम और रहने के लिए छत तलाश में न जाने कैसे पुलिस थाने पहुंच गए और टीआई को अपनी आप बीती सुनाई,जिसके बाद बेसहारा भाई- बहन को टीआई का सहारा मिला और अब दोनों खुशी-खुशी नौकरी कर अपने नए जीवन में गुजर बसर कर रहे हैं।

सरायपाली थाना क्षेत्र के ग्राम किसहंडी के निवासी पदमिनी और बालकृष्ण भाई-बहन है वो कहते हैं न कि वक्त के आगे किसी की नही चलती,समय की मार भाई-बहन को ऐसी पड़ी की बचपन से माँ बाप का साया सिर से उठ गया, अब घर की जिम्मेदारी और आगे का भविष्य तय करने की होड़,पदमिनी ने सिर्फ 1200 रुपए की तनख्वाह में आंगनबाड़ी में खाना बनाने का काम किया तो बालकृष्ण ने छोटा मोटा काम कर अपनी पढ़ाई को फस्ट ईयर तक खिंची, बढ़ते समय के इनकी ज्यादा तो नही कम ही सही आवश्यकता भी कम होने का नाम नही ले रही थी। जैसे तैसे तो जीवन में इतना उतार चढ़ाव देख यहां तक आ गए।

लेकिन आगे की आजीविका चलाना मुश्किल हो रहा था। गांव से निकल कर भाई-बहन सरायपाली आ गए और सीधा पहुंच गए पुलिस थाने,सिर्फ इस उम्मीद के साथ कि कुछ तो मदद मिल ही जाएगी,थाने में इनकी भेंट हुए टीआई आशीष वासनिक से जिन्हें अपनी सारी व्यथा से भाई-बहन ने अवगत कराया जब टीआई आर्थिक सहायता की पेशकश की तो दोनों स्वाभिमानी भाई-बहन ने इसे ठुकरा के बस इतना कहा कि जीवन बड़ा लम्बा है, हम निर्धन और बेसहारा जरूर है मगर लालची नही ,इसके बदले काम दिलवा दीजिए जहां अपनी मेहनत से कमाई हुई दो वक्त की रोटी तो खा सके।

नौकरी और घर.

दोनो की आप बीती सुनने के बाद टीआई वासनिक ने एक स्थानीय थोक कपड़ा व्यापारी से फोन पर चर्चा की और पदमिनी और बालकृष्ण के लिए नौकरी देने का आग्रह किया। टीआई से बातचीत के बाद व्यापारी ने दोनों को अच्छी सैलरी में अपने ही संस्थान में नौकरी पर रख लिया है,अब उनके रहने के लिए एक छत की व्यवस्था करनी थी टीआई ने उसी थोक व्यापारी से इस बारे में भी कहा और किस्मत से उनके द्वारा बनाए गए सर्वेंट क्वार्टर में दोनों को सिर छुपाने आशियाना भी मिल गया।

पुलिस का काम बस अपराधियों को पकड़ना ही नही.टीआई.

इस बारे में टीआई वासनिक की माने तो इतने साल मुफलिसी में जीवन यापन करने के बाद भी दोनो के स्वाभिमान को मैंने परखा अच्छी बात ये है कि इतनी परेशानी झेलने के बाद भी दोनों के कदम गलत रास्ते की ओर नही बहके जो काबिलेतारीफ है। पुलिस विभाग के अफसरों के साथ हमारा विभाग किसी की भी जितनी हो सके सहायता के लिए तत्पर आगे रहता है। अपराधियों पर नकेल कसने के अलावा पुलिस जनभागीदारी कस काम करती है।

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