गोदाम इंचार्ज के जरिए सेंट्रल जेल में ‘50000’ पर डे का काला कारोबार..

‘OMG NEWS’ की स्पेशल रिपोर्ट पढ़िए लगातार..

बिलासपुर. सेंट्रल जेल कैदियों में वीआईपी ट्रीटमेंट के नाम पर प्रतिदिन 30 से 50 हजार का काला कारोबार बदस्तूर जारी है। जिसका जिम्मा मुख्य जेल प्रहरी गोदाम इंचार्ज के हाथों में है। इस काले कारोबार की लंबी कहानी है जिसे ‘OMG NEWS NETWORK’ अपनी पड़ताल के बाद पार्ट – पार्ट में अपने पाठकों के सामने उजागर करेगा। पहले सामान्य तबादला फिर अटैचमेंट की सेटिंग कर चंद दिनों में सेंट्रल जेल में अपनी वापसी के लिए चर्चित मुख्य जेल प्रहरी की कारगुजारियों से जेल प्रबंधन भी वाकिब है लेकिन इसके बाद भी उसे मलाईदार चार्ज दिया गया है।

प्रदेश में बघेल की नई सरकार आने के बाद भी कुछ सरकारी मुलाहजिम शासन के आदेश को खुलेआम रद्दी की टोकरी में डाल रहे हैं। अपनी सेटिंग के दम पर एक जगह से दूसरी जगह ड्यूटी बजाने में शायद इन्हें कोई सरोकार नहीं। सेंट्रल जेल में पदस्थ मुख्य जेल प्रहरी मारकंड बारिक की कारगुजारियों से पूरा जेल अमला वाकिब है दो बार तबादला होने के बावजूद भी अपनी सेटिंग के दम पर पुनः बिलासपुर सेंट्रल जेल में तैनाती अब किसी के गले से नीचे नह उतर रही। ‘OMG NEWS NETWORK’ की पड़ताल में पता चला है कि जेल के भीतर कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने का सारा जिम्मा गोदाम इंचार्ज स्वरूप बारिक के हाथ मे है।

इन व्यवस्थाओं के देने के एवज में जेल में हर रोज 30 से 50 हजार की काली कमाई की जा रही हैं। सेंट्रल जेल में सजा बतौर नई जीवन शैली सिखाई जाती हैं ये तो कहने की बात है। असल मे जो मालदार है उसे जेल की चार दिवारियो के बीच ऐशोआराम मुफीद है। बशर्ते इसके लिए उसे जेल के सिस्टम को पानी की तरह मोटी रकम पिलाना पड़ता है। गुड़ाखु,शराब,सिगरेट और बिरयानी तक जेल में मिलती है। बस गोदाम इंचार्ज (मुख्य प्रहरी) बारिक के जरिए सिस्टम को दस गुना रकम अदा करना पड़ता है। सूत्र बताते हैं कि यह काला कारोबार इतना सेट है कि 2008 से सेंट्रल जेल में प्रहरी के पद पर पदस्थ मारकंड बारिक का दो बार अलग अलग जिले में तबादला होने के बाद भी वह बे रोक टोक अटैचमेंट की आड़ में सेंट्रल जेल में पदस्थ है।

राज्य सरकार के गृह जेल विभाग के द्वारा 23 अगस्त को उपर से लेकर नीचे तक करीब 67 जेल के अधिकारियों और स्टाफ का तबादला किया गया था। जिसमें जेल अधीक्षक का नाम भी शामिल है इस लिस्ट में मुख्य जेल प्रहरी मारकंड बारिक का नाम भी शामिल था जिसे उप जेल कटघोरा की रवानगी दी गई थी। मगर इस बार की सरकार के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल काला कारोबार का हीरो मुख्य प्रहरी बारिक अटैचमेंट का खेल कर कुछ ही दिनों में बिलासपुर सेंट्रल जेल अटैच होने में कामयाब हो गया।

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