OMG ब्रेकिंग- भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे आईएएस शुक्ला सरकार के लिए बने हेडेक..

जिस दागी आईएएस अफसर के माथे पर भ्रस्टाचार का आरोप सिर चढ़ कर बोल रहा हो अब उसे ही सरकार ने शिक्षा विभाग का प्रमुख सचिव बनाकर अपने लिए मानो हेडेक पाल लिया है कुछ ही महीनों के प्रभार वाले इस अफसर की अफसरशाही इस कदर बोल रही है कि सरकार की ही महती योजनाओं को बंद कर अपनी मनमानी चलाने में आमादा है।

प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला इन दिनों काफी चर्चा में है अपने कामकाज को लेकर इस आईएएस अफसर ने मनमाने तरीके से कामकाज करना शुरू कर दिया है मात्र 4 महीने चार्ज में आलोक शुक्ला राज्य स्तरीय योजना को बेकार और गलत तक बता दिया और अपने तरीके से कामकाज करने लगे है सरकार के मुंह मे तमाचे की तरह अफसरशाही इन पर इस तरह हावी हो गई है कि अफसर ने सरकार की उन योजनाओं को बेकार बता दिया जिसे हाल में में पुरस्कार से नवाजा गया है पहले ही आलोक शुक्ला पर भ्रष्टाचार का आरोप है सवाल इस बात है कि दागी अफसर को शिक्षा विभाग जैसे विभाग की महती जिम्मेदारी आखिर क्यों दी गई है ऊपर से भूपेश बघेल जैसे मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपना रवैया दिखा कर ना जाने शिक्षा विभाग को को किस रंग में बदले के लिए एड़ी चोटी एक कर रहे हैं।

सूत्रों की माने तो उन्होंने बंद कमरे में यह तक कहा है कि इनका मकसद ४ महीनों में पिछले ४ साल की भरपाई करने की है। अब इसका क्या अर्थ निकाला जाए।


सीएम को भी किया दरकिनार..

बताया जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र स्वीकृत “ई- लरनिंग की योजना” जिसमें स्कूल में डिजिटल तरीके से पढ़ने पढ़ाने की व्यवस्था है ,जिसका उदघाटन मुख्यमंत्री किया था उसको भी अयोग्य ठहराया गया। इस महत्वाकांक्षी एवम् बच्चों के लिए लाभकारी योजना, जिसमें सारे तकनीक, लैपटॉप, कंप्यूटर इत्यादि को पूर्व में ही स्वीकृत कर लिया है तथा जिसमें इंस्टॉलेशन का काम भी पूरा हो गया तथा जिसके कारण तकरीबन १५०० रोजगार के अवसर मिलते, अब इसके बदले उन्होंने अपनी ही ई learning कार्यक्रम ki योजना बनाई है। इसमें योजना में आने वाले ४ महीनों में ही तकरीबन ५० करोड़ से ज्यादा सरकारी रुपए खर्च की योजना है जिसमें फिर से वही हार्डवेयर एवम् तकनीक को दुबारा से खरीदने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। जब राज्य में पहले से ही इस प्रकार की व्यापक एवम् दूरगामी योजना चल रही है तो फिर से इसके समानांतर योजना चलाने का क्या मकसद हो सकता है।

कमाल कर दिया शुक्ला जी ने..


सूत्रों के अनुसार योजना में ऐसा दिखाया जाएगा कि राज्य के विद्यालयों ने सारे संबंधित समान खरीदे, जबकि सारी खरीदारी एवम् निर्णय पहले ही ले लिए है। राज्य में अधिकारियों द्वारा
छापेख़ाने से होने वाली कमाई पर जहां नकेल कसी थी वहीं ये काम भी अब शुरू होने वाला है।
केंद्र समर्थित योजना जैसे UDISE को भी बकवास बता कर उसमे कुछ भी डाटा भर के भेजने को बोल दिया गया। यह डाटा राज्य के लिए बहुत ही अहम है क्योंकि इसी आधार पर राज्य शिक्षा विभाग में सारी मूलभूत सुविधाएं एवम् कार्यक्रम लागू करता है । यही नहीं केंद्र से मिलने वाली मदद राशि में भी इसकी अहम भूमिका होती है।
ऐसे स्तर से इस प्रकार की बातों का नीचे के पदाधकारियों में जाना जहा अच्छे कर्मठ एवम् ईमानदार लोगों के मनोबल को नुकसान पहुंचता है वहीं भ्रष्ट अधिकारी इसमें अपना लाभ निकाल लेते है।
एक ऐसे दागी अधिकारी जिसपर पिछली सरकार में इतने बड़े घोटाले का आरोप लग चुका हो, क्या राज्य की वर्तमान सरकार को उन्हें शिक्षा जैसा विभाग देना उचित है। दागी अफसर आलोक शुक्ला एवम् उनके साथ के अधिकारियों पर पिछले सरकार में 3000 करोड़ के घोटाले का मुकदमा चल रहा एवम् ये उस मामले में बेल पर चल रहे।

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