मोदी से थर-थर कांपने वाली छत्तीसगढ़ की दलाल मीडिया ने नहीं छापी पुण्य प्रसुन बाजपेयी की खबर..

सौजन्य-अपना मोर्चा डॉट कॉम..

रायपुर. शनिवार को देश के प्रसिद्ध पत्रकार पुण्य प्रसुन बाजपेयी गांधी ग्लोबल फैमली की ओर से आयोजित प्रतिरोध के स्वर नामक एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मौजूद थे. उन्हें सुनने के लिए हजारों लोग साइंस कॉलेज के पास स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम पहुंचे. सत्ता की गलत नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध के सबसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर के रुप में विख्यात बाजपेयी को कव्हरेज करने अमूमन सभी अखबार और चैनलों के नामचीन प्रतिनिधि भी मौजूद थे, लेकिन अततः हुआ वहीं जिसका अंदेशा था. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद कई प्रबुद्ध श्रोताओं ने आशंका जताई कि बाजपेयी की सच्ची बातों को गोदी मीडिया में जगह नहीं मिलेगी. उनका अंदेशा सही साबित हुआ. अखबारों ने तड़का-फड़का टैलेंट… महिलाओं ने खेला सांप-सीढ़ी का खेल और पेशाब कम होने पर ज्यादा पानी पीने की सलाह देने वाली खबरें तो छापी लेकिन बाजपेयी को जगह नहीं दी. ( एक- दो अखबार और चैनल को छोड़कर…एक अखबार ने तो मरी-खपी सी जगह पर फोटो के साथ कैप्शन लगाकर इतिश्री कर ली.) हालांकि सोशल मीडिया में बाजपेयी की खबर जमकर चली और अब भी चल रही है.

अपने ढ़ाई घंटे के तार्किक भाषण में बाजपेयी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी अधिकारों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों को आधार बनाकर बताया कि सरकार बेहद खौफनाक ढंग से आवाम को बेवकूफ बना रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार ने देश का पूरा सिस्टम ही ध्वस्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की वेबसाइट में लोगों को भरमाने के लिए कई तरह के आंकड़े दे रखे हैं, लेकिन जब इन आंकड़ों की तस्दीक की जाती है तो वे झूठे निकलते हैं. उन्होंने कहा कि हर विभाग को पर्याप्त बजट जारी होता है, लेकिन उसका लाभ देश की जनता को नहीं मिल पा रहा है. बजट की भारी-भरकम राशि का उपयोग कार्पोरेट जगत से जुड़े लोग ही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब देश का होनहार बच्चा देश छोड़कर जाता है तो फिर दोबारा लौटने की नहीं सोचता क्योंकि देश का माहौल उतना बेहतर नहीं है. कुछ अरसा पहले विदेशी बच्चे भी भारत की सभ्यता और संस्कृति को जानने समझने के लिए आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या में भी भारी कमी आ गई है. बाजपेयी ने कहा कि हम अब तक एक भी ऐसा विश्वविद्यालय खड़ा नहीं कर पाए हैं जिस पर हमें गर्व हो.बाजपेयी ने देश की मीडिया को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि मीडिया का स्वरुप पूरी तरह से बदल गया है. उन्होंने मीडिया को प्रचार के लिए जारी होने वाली राशि का भी खुलासा किया और कहा कि अब मीडिया में जनता से जुड़ी हुई सच्ची और अच्छी खबरों की गुंजाइश खत्म कर दी गई है. उन्होंने हॉल में उपस्थित दर्शकों को 23 मई तक टीवी न देखने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय अंधेरे का समय अवश्य है, लेकिन देश के लोगों को तय करना होगा कि वे अंधेरे से लड़ना चाहते हैं या फिर अंधेरे में रहना चाहते हैं.

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