“पद्मश्री दद्दा की 420” नेशनल मीडिया में मोदी सरकार घिरी

बिलासपुर. “दद्दा” को 420 का आरोपी होने के बाद भी पद्मश्री देने का मामला नेशनल मीडिया में गरमा गया है. इसे मोदी सरकार के सूचना तंत्र की बड़ी नाकामी के रूप में देखा जा रहा है. नतीजा सेंट्रल आईबी ने मामले से जुड़े दस्तावेज बुधवार को खंगाले हैं.

इस पूरे मामले पर रायपुर पत्रिका में राजकुमार सोनी की रिपोर्ट बुधवार को सामने आने के बाद से दिनभर नेशनल मीडिया और केन्द्रीय सूचना तंत्र में हड़कम्प मच गई.

दौड़ा भागा सेंट्रल आईबी

प्रिंट मीडिया से सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद इस मामले में  बिलासपुर में केन्द्र सरकार के इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम सबसे पहले डीपी कॉलेज पहुंची. वहां से पता लगाया कि मामले के प्रार्थी अरुण कश्यप कहां मिलेंगे. फिर कश्यप कालोनी जाकर उनसे जमीन घोटाले और अदलती प्रकरण के दस्तावेज लिए गए.

सक्रिय हुआ नेशनल मीडिया

शहर में दोपहर बाद इंडियन एक्सप्रेस सक्रिय हुआ. उसने सारे दस्तावेज कालेज और प्रार्थी से लेकर दिल्ली मेल किया. शाम तक आजतक की टीम सक्रिय हो गई. उसने अपने स्थानीय संवाददाता दुबे के जरिए बाइट मंगवाया.
रात तक पत्रिका और आजतक ने आनलाइन न्यूज परोस दी. इससे शहर की सोशल मीडिया भी गर्म हो गई है.

पारदर्शिता या डीजिटल फेलवर

देश के प्रतिष्ठित सम्मान पद्मश्री को लेकर छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के साथ- साथ मोदी सरकार भी कटघरे मे खड़ी हो गई है. बिलासपुर के जाने माने पत्रकार एवं साहित्यकार पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी पर बीते दस साल से धारा चार सौ बीस,419,406,408, 477,34 का प्रकरण दर्ज है.
डीपी विप्र महाविद्यालय प्रशासन समिति के जमीन घोटाले में बारह लोगों के साथ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष चतुर्वेदी वर्ष 2007 से जमानत पर हैं. गणतंत्र दिवस 2018 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन से पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई थी जिसमें उनका नाम होने पर खूब वाहवाही हुई.
लेकिन पखवाड़े भर बाद पुलिस की उक्त FIR सामने आई.

चयन प्रकिया पर गंभीर सवाल
पदम पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया के लिए इस बार मोदी सरकार ने पारदर्शिता का दावा करते हुए डीजिटल इंडिया फ्रेम में एक वेबसाइट लांच की. इसमे नाम और अनुशंसाएं मंगाई गई. इसमें छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पृष्ठभूमि से जुड़े चतुर्वेदी के  नाम की सिफारिश की गई. परन्तु इसमें नियम का ध्यान नहीं रखा गया कि उम्मीदवार का चरित्र और बीता जीवन सवालों से परे होना चाहिए. इसकी रिपोर्ट राज्य और केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियां देती हैं. लेकिन अब चयन कमेटी के साथ राज्य और केन्द्र सरकार भी सवालों के घेरे में है.

You May Also Like

One thought on ““पद्मश्री दद्दा की 420” नेशनल मीडिया में मोदी सरकार घिरी

  1. 420 का मामला और भी है 2008 से भाजपा के महोदय पूलिस रिकॉर्ड में फरार है । वर्तमान में निगम अध्यक्ष है। फरार व्यक्ति को निगम मंण्डल का अध्यक्ष कैसे बनाया ।

Comments are closed.