नईदुनिया जागरण प्रबंधन 30 कर्मचारियों को हटाने पर तुला

जीठिया क्लेम करने में सफल कर्मचारियों के खिलाफ साजिश

बिलासपुर. प्रेस कर्मचारियों और पत्रकारों के लंबे संघर्षो के बाद मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2014 के फैसले के अनुरूप नईदुनिया जागरण रायपुर के सदस्य साथियों के 56 प्रकरण अपने मुकाम तक पहुँच रहे हैं। प्रदेश श्रमायुक्त छत्तीसगढ़ शासन के कार्यालय में सुनवाई और बैठकों के लंबे दौर के बाद ये मामले अंततः क्लेम राशि के निर्धारण के लिए श्रम न्यायालय रायपुर में रिफरेन्स किये जा रहे हैं।

नईदुनिया रायपुर में 2015 से मजीठिया वेज बोर्ड के लिए कर्मचारी लगातार प्रयास कर रहे हैं विगत 2 अक्टूबर 2016 को वे समाचारपत्र कर्मचारी संघ रायपुर से जुड़ कर विधिसंगत प्रक्रिया से इस हेतु चरणबद्ध प्रयास कर रहे थे। सहायक श्रमायुक्त रायपुर के बाद श्रमायुक्त छत्तीसगढ़ शासन के पास लंबी बैठकों के बाद अंततः प्रकरण राशि निर्धारण हेतु श्रम न्यायालय प्रेषित किये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी।
कर्मचारियों की इस सफलता और प्रबंधन को बढे वेतन का भुगतान करने की बाध्यता की ओर धकेला जाना जागरण के अधिकारीयों को हज़म नहीं हो पाया।
विगत साल भर से कर्मचारियों को प्रताड़ित करने की सुनियोजित धटनाये बढ़ती जा रही थी ।
गाली गुफ़्तार और जायज हकों छुट्टियों के लिए क्लेम करने वाले कर्मचारियों को तंग किया जाने लगा और प्लांट कर्मचारी ललित पटेल के साथ प्रोडक्शन व् मानव संसाधन मैनेजर द्वारा 12 से 14 सितम्बर को छुट्टी लेने पर दुर्व्यवहार किया गया।
घटना की जानकारी मिलने पर कर्मचारियों द्वारा विरोध किया गया और सम्बंधित कृत्य करने वाले अधिकारियो से क्षमा मांगने का आग्रह किया गया।
किन्तु प्रबंधन ने इसे न मानते हुए कर्मचारियों को इसी बहाने मजीठिया प्रकरण वापस लेने का दबाव बनाना शुरू किया गया और 16 सितम्बर से काम पर उपस्थित होने वाले कर्मचारी साथियो का नाम पंचिंग मशीन से हटा कर 16 सितम्बर 2017 से ड्यूटी पर लेने से रोका गया। कर्मचारियों ने तुरंत इसकी शिकायत गंज पुलिस थाने में करके स्थिति की जानकारी दी।
पुलिस प्रेस आई भी किन्तु प्रबंधन द्वारा आपसी सहमति से मामला निबटा लेने के आश्वासन पर वापस लौट गयी।
कर्मचारियों द्वारा 16 एवं 17 सितम्बर को शासकीय अवकाश होने के कारण 18 सितम्बर सोमवार को प्रबंधन की मंशा भांपते हुए सहायक श्रमायुक्त को पत्र द्वारा घटनाक्रम की सूचना दी गयी तथा हस्तक्षेप की मांग की गया।16 से 21 सितम्बर तक प्रबंधन द्वारा केवल उन्ही कर्मचारियों को काम पर वापस लिया गया जिन्होंने मजीठिया का क्लेम वापस लेने का लिखित माफीनामा प्रबंधन की जरुरतो के अनुसार लिख कर दिया। शेष कर्मचारियों को प्रबंधन एकतरफा हड़ताल घोषित करके निकालने पर आमादा है। चूँकि हर क्लेम करने वाला कर्मचारी प्रबंधन को 25 लाख रुपयों का लेनदार लगता है इस लिए वे हर हथकंडा अपना कर कर्मचारियों को नोकरि से हटाना चाह रहे हैं जिससे क्लेम वसूली का मामला और लंबा खिंचे और कर्मचारी को उनका बकाया न देना पड़े।

23 सितम्बर को सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में हुई समझोता बैठक में प्रबंधन की पोल खुली और साबित हो गया की बहानेबाज़ी कर, झूठ बोल कर किसी भी तरह मजीठिया वेज क्लेम करने वाले सदस्य साथियो को काम से हटाना चाहता है।
बिना नोटिस बिना किसी प्रक्रिया के 10 से 11 वर्षो से काम कर रहे कर्मचारियों को हटाने का यह षड्यंत्र पूरी तरह बेनकाब हो गया।
उपस्थिति पंजी पंचिंग मशीन से 16 तारीख को कर्मचारियों का नाम होल्ड करने से प्रबंधन की गैरकानूनी मंशा स्पष्ट हो गयी।

घनश्याम गुप्ता

(एफबी वाल)

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