“छत्‍तीसगढ़: मिड डे मील में बच्‍चों को परोसी जा रही है, घुन लगी दाल और सड़ी सब्जियां“

नया शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए दस दिन से अधिक हो गए हैं, बावजूद स्कूलों की व्यवस्था अभी भी काफी लचर बनी हुई है. ना तो स्कूल में शिक्षक आ रहे हैं और ना ही बच्चों को मेन्यू के अनुसार मिड डे मील मिल पा रहा है. कुछ स्‍कूलों में जहां भोजन दिया भी जा रहा है तो वहां बच्‍चों को सड़ी हुई घुन लगी दाल वो भी बिना सब्जी के परोसी जा रही है. वहीं कहीं हफ्तों से सिर्फ आलू की सब्जी ही खिलाई जा रही है.

मेन्यू चार्ट के मिड डे मील में मिलावट
सरकार ने सभी स्कूलों में मेन्यू चार्ट लगवा रखा है लेकिन इस मेनू चार्ट के अनुसार बच्‍चों को खाना परोसा जा रहा है या नहीं इसकी खबर लेने वाला कोई नहीं है. सरकार ने हर दिन के अनुसार अलग-अलग प्रकार के पौष्टिक भोजन स्कूल में ही बनाकर खिलाने की व्यवस्था कर रखी है. छत्‍तीसगढ़ के पेंड्रा के सरकारी स्‍कूलों में शुक्रवार की थाली के अनुसार बच्चों को चावल, मिक्स दाल, पापड़, टमाटर की चटनी, पत्ता गोभी की सब्जी मिलनी चाहिए थी लेकिन जब इन स्कूलों में मीडिया की टीम पहुंची तो जो दाल बच्चों को खिलाने के लिए परोसी गई थी वह पूरी तरह घुन लगी हुई थी. रसोइया खुद ही इसे खाने योग्य नहीं होने की बात कह रहा था.

प्रधानाचार्य स्‍कूल से नदारद
16 जून से शुरू हुए शिक्षा सत्र में एक भी दिन बच्‍चों को मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं परोसा गया. शिक्षक भी भोजन व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है वह भी जानते हैं कि मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा है. पर शिकायत करने की जहमत कौन उठाए, क्योंकि स्कूल के प्रधानाचार्य जिन्हें भोजन चेक करना होता है वही स्‍कूल से नदारद हैं तो वहीं सहायक शिक्षक ने भी इसे बच्‍चों के खाने से पहले चेक करना जरूरी नहीं समझा. वहीं कुछ प्रधानाचार्यों का मानना है कि आज स्व-सहायता समूह के पास यही बचा होगा इसलिए बच्चों को यही खिला रहे हैं.

किचन शेड नहीं, शौचालय में तैयार हो रहा है मासूमों के लिए मिड डे मील

कान बंद करके बैठे हैं अधिकारी
ABEO और मध्यान्ह भोजन प्रभारी नियुक्त हैं जिनकी जिम्मेदारी प्रतिदिन व्यवस्था देखने की है. खबर मिलने के बाद संबंधित शिक्षकों और समूहों को नोटिस जारी कर कार्रवाई और शीघ्र ही व्यवस्था बनाने की बात सामने आई है,छात्रों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मंशा से सरकार ने मध्यान्ह भोजन योजना शुरू की है. इसके संचालन की जिम्मेदारी गांव के स्व सहायता समूहों को दी गई है लेकिन संचालनकर्ता समूह भी अब बच्चों की थाली से निवाला छीनने में लग गए हैं. जिम्मेदार अधिकारी मीडिया से खबर मिलने के इंतजार में बैठे है.

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