गुरुजी स्कूल आए और पढ़ाने वाले मददगार हुए बाहर..

हड़ताल के दौरान शासन ने की थी व्यवस्था..

बिलासपुर. शिक्षाकर्मियों की अनिश्चिकालीन हड़ताल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए सेवा लेने वाले शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों का हड़ताल खत्म होते ही बाहर कर दिया गया है।
हड़ताल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों में अध्यापन कार्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था और कई स्कूल ऐसे थे जो पूरी तरह से शिक्षाकर्मियों पर ही आश्रित थे। एक भी शिक्षाकर्मी के नहीं होने से स्कूल मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाले और जनप्रतिनिधि स्कूल खोल रहे थे।

शासन ने बेरोजगार शिक्षित युवक-युवतियां जो पढ़ाने की इच्छुक है वे स्कूल में अध्यापन कार्य करा सकने की व्यवस्था की थी।

इस व्यवस्था के तहत मस्तुरी 320, बिल्हा में 300, तखतपुर, कोटा और मरवाही , पेण्ड्रा और गौरेला में भी करीब 300 से अधिक युवक-युवतियों ने अध्यापन कार्य कराने के लिए आवेदन दिया था। इस व्यवस्था के तहत बमुश्किल से युवक-युवतियां एक सप्ताह तक ही स्कूलों में अध्यापन कार्य कराया गया इसके बाद शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा ने 5 दिसम्बर को अनिश्चितकालीन हड़ताल बिना किसी शर्त के वापस ले लिया।

शिक्षाकर्मियों की हड़ताल से वापस आते ही इन युवक-युवतियों को धन्यवाद कहते हुए बाहर कर दिया गया है।

डीईओ के पास डाटा नहीं

जिला शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय ने कहा कि डाटा बीईओ केपास है जिला शिक्षा कार्यालय में नही है।

मस्तुरी और बिल्हा के बीईओ सुधीर सर्राफ और एमएन पटेल ने कहा कि यहां पर क्रमशः 320 और 300 युवक-युवती आए थे सभी को वापस कर दिया गया है।

मालूम हो संविलियन और सातवें वेतनमान सहित नौ सूत्रीय मांग को लेकर शिक्षाकर्मी शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले 20 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल में थे।

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