गांव में एक शिक्षा का मंदिर ऐसा भी जहा के बच्चे किसी से कम नही,बोले तो फर्राटेदार अंग्रेजी और रखते हैं आसमान छूने की काबिलियत..

रायगढ़. जहा चाह वहा राह इस बात को चरितार्थ कर दिखा रहे हैं जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल के बच्चे शाशन द्वारा एसटी एससी वर्ग के प्रतिवभाव बच्चों के लिए आयोजित जवाहर उत्कर्ष परीक्षा में बाजी मारते ये बच्चे किसी से कम नही फर्राटेदार इंग्लिश बोलना और किसी भी सवाल का जवाब देने में इन्हें महारात हासिल है वो भी राज्य के बॉर्डर से लगे छोटे से गांव के 5 कमरों के स्कूल में जहा एक तरफ शहरों की चकाचौंध के बीच बड़े घरानों के बच्चे टियूशन, मोबाइल, लैपटॉप और कम्प्यूटर से पढ़ाई कर रहे है तो वही इन सब से दूर बस टीचर के मिल रही तालीम ही इन बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा कर आसमान को छूने की ताकत दे रही हैं।

रायगढ़ जिले सरिया थाना क्षेत्र के ग्राम केंदवाही बार मे एक छोटे छोटे कमरों का स्कूल जिसे वर्ष 2004 में आदर्श प्राथमिक शाला का नाम दिया गया है एसटी और एससी वर्ग के हुनकार बच्चों की प्रतिभाओं को उबारने धीरे धीरे कर स्कूल को अमलीजामा पहनाया गया राज्य शाशन के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा हर साल आयोजित जवाहर उत्कर्ष परीक्षा में अब तक इस स्कूल से 56 विद्यार्थियों का चयन हो चुका है वही इस खुशी को डबल कर चयनित बच्चों का उत्साह वर्धन के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया था जिसके मुख्य अतिथि सरिया टीआई आशीष वासनिक रहे वही गांव के जनप्रतिनिधी और स्कूल के प्राचार्य व शिक्षक भी समारोह में शामिल हुए चयनित हुए छात्र छात्राओं ने अतिथियों के सामने फर्राटेदार अंग्रेजी बोली तो वही पहली क्लास के बच्चों ने बिना रुके कविता पढ़कर सुनाया।

ये है जवाहर उत्कर्ष योजना..

राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष प्रत्येक जिले में एससी-एसटी वर्ग के छात्र छात्राओं के लिए जवाहर उत्कर्ष परीक्षा का आयोजन किया जाता है जिसमे चयनित होने वाले बच्चों की काउंसलिंग होने के बाद प्रदेश के नामी स्कूलो में कक्षा 6वी से लेकर 12वी तक कि सारी पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करती हैं।5वी कक्षा में प्रवेश करने वाले छात्र छात्राओं को इस परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाता है।

इन्होंने किया नाम रौशन..

1.रितिमा आनंद

2.तमन्ना सिदार

3.लोकेश सिदार

4.मुस्कान सिदार

5.भावना सिदार

बाल मित्र बनकर पहुची सरिया पुलिस की टीम..

इस समारोह में टीआई वासनिक आरक्षक श्याम प्रधान,कौशलिया पटेल और गोपाल डड़सेना पुलिस नही बल्कि बाल मित्र के रूप में छात्र छात्राओं के बीच पहुचे थे टीआई ने अपने उद्बोधन में कहा कि गांव में ऐसी प्रतिभा देख अचंभित हु बच्चों के लिए जो भी संभव मदद होगी उस जरूरत को मैं अपनी तैनाती तक जरूर पूरा करने का प्रयास करूंगा भविष्य में कानून की जानकारी और पुलिस के काम करने का तरीका जानने के लिए टीआई वासनिक ने बच्चों को पुलिस का मेहमान बनने का न्योता देकर चयनित बच्चों को उपहार स्वरूप पेन और डायरी भेंट की वही श्री वासनिक ने बच्चों के मार्फत लोगो के मन में पुलिस की जो छवि बनी है उसे बदला जा सके और सरिया क्षेत्र में भय मुक्त वातावरण का माहौल स्थापित करने की बात कही।

70 बच्चे मगर सब पर भारी..

आज के इस दौर में आमतौर पर हम शहरी इलाकों में बड़े बड़े स्कूलो में अध्यनरत बच्चों को बेबाकी से अंग्रेजी बोलते हुए देखते है मगर केंदवाही बार के सरकारी स्कूल के बच्चों में पढ़ाई की चाह और उनकी स्मरण शक्ति की जितनी भी तारीफ की जाए कम है राजनीति हो या आर्थिक या कहे तो सामाजिक देश विदेश के बारे में कोई भी ऐसा सवाल नही है जो स्कूल के बच्चे ना दे पाए पूरे प्राइमरी स्कूल के 70 बच्चों की टीम किसी से कम ना देश मे हाल ही हुए पुलवामा हमले के बाद भारतीय एयरफोर्स की जवाबी करवाई कब और कहा हुई ये इन बच्चों को बखूबी याद है वही स्कूल के प्रिंसिपल सुरेंद्र कुमार मिश्रा सहायक शिक्षक अनुराज वर्मा और मनमोहन पटेल इस कामयाबी का श्रेय बच्चों को देने से पीछे नहीं हटते।

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