अटल बिहारी सब के दिलो में ‘अटल’ कविता को उकेर निधन पर डॉ मंहत ने जताया दुख..

रायपुर.छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

डॉ चरणदास महंत ने भारी हृदय और नम आँखों से कहा कि एक साधारण अध्यापक के पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को हुआ। वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (लक्ष्मीबाई ) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की। अटल जी ने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। वह एक ऐसे नेता थे जिन्हें देश के सभी राजनीतिक दल पूरा सम्मान देते थे उनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा पाएगी।
डॉ चरणदास महंत ने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की याद में उन्हीं की रची हुई एक कविता का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

“जो कल थे,
वे आज नहीं हैं।
जो आज हैं,
वे कल नहीं होंगे।
होने, न होने का क्रम,
इसी तरह चलता रहेगा,
हम हैं, हम रहेंगे,
यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।”

“सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है,
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है।
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं,
शेष सब समझ का फेर,
बुद्धि के व्यायाम हैं।
किन्तु न होने के बाद क्या होता है,
यह प्रश्न अनुत्तरित है।”

“प्रत्येक नया नचिकेता,
इस प्रश्न की खोज में लगा है।
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है।
शायद यह प्रश्न, प्रश्न ही रहेगा।
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके,
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान,
एक दिन, अवश्य ही
रुद्ध द्वार खोलेगा।
प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।” – अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी सबके दिलों में अटल हैं।

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